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'भारतीय न्याय संहिता' लागू होने के बाद बदल जाएंगी कई धाराएं, हत्या के लिए 302 नहीं धारा 101 लगेगी, जानिए अहम बदलाव

By शिवेन्द्र कुमार राय | Published: August 14, 2023 5:40 PM

नई "भारतीय न्याय संहिता" के मुताबिक हत्या के लिए सजा के लिए धारा 101 लगाई जाएगी। पहले धारा 302 लगाई जाती थी। वहीं धोखाधड़ी के लिए धारा 316 लगाई जाएगी। पहले धारा 420 का इस्तेमाल ऐसे केस में सजा दिलाने के लिए किया जाता था।

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ठळक मुद्देगृह मंत्री अमित शाह ने संसद के मानसून सत्र में पेश किया था विधेयकभारतीय न्याय संहिता विधेयक, 2023 में प्रस्तावित हैं कई अहम बदलावहत्या, बलात्कार और धोखाधड़ी जैसी कई धाराएं बदल जाएंगी

नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने संसद के मानसून सत्र में शुक्रवार, 11 अगस्त को लोकसभा में भारतीय न्याय संहिता विधेयक, 2023 पेश किया था। प्रस्तावित विधेयक को फिलहाल  समीक्षा के लिए स्थायी समिति को भेजा गया है। इसके लागू होने के बाद कई धाराएं बदल जाएंगी। इनमें कुछ धाराएं ऐसी थीं जो लोगों की जबान पर चढ़ गई थीं और अक्सर ऐसा होता था कि लोग अपराध के बजाय धारा का ही नाम लेते थे। ऐसी ही दो धाराएं हैं धारा 302 और धारा 420। जहां धारा 302 हत्या का पर्याय बन गई थी वहीं धोखाधड़ी में प्रयोग की जाने वाली धारा 420 आम आदमी की जबान पर इतना चढ़ गई थी कि लोग धोखेबाज व्यक्ति को 420 कहते हैं। लेकिन भारतीय न्याय संहिता विधेयक के कानून बन जाने के बाद कई धाराएं बदल जाएंगी।

नई "भारतीय न्याय संहिता" के मुताबिक हत्या के लिए सजा के लिए धारा 101 लगाई जाएगी। पहले धारा 302 लगाई जाती थी। वहीं धोखाधड़ी के लिए धारा 316 लगाई जाएगी। पहले धारा 420 का इस्तेमाल ऐसे केस में सजा दिलाने के लिए किया जाता था।

नई "भारतीय न्याय संहिता" की महत्वपूर्ण धाराऍं

01. हत्या के लिए सज़ा- धारा 10102. आत्महत्या के लिए उकसाना- धारा 10603. अपहरण- धारा 13504.बलात्कार - धारा 6305. सामूहिक बलात्कार- धारा 7006. मानहानि- धारा 35407. धोखाधड़ी- धारा 31608. दहेज हत्या- 7909. चोरी- धारा 30110. छीनना- धारा 302

 "भारतीय न्याय संहिता" में कुछ ऐसे अपरधों के लिए भी सजा का प्रावधान किया गया है जिनके लिए पहले कोई विशेष कानून नहीं था। ऐसा ही एक अपराध है फेक न्यूज फैलाना। अब भारतीय न्याय संहिता विधेयक, 2023 के प्रस्तावों के अनुसार धारा 195 के तहत भारत की संप्रभुता और सुरक्षा को खतरे में डालने वाली 'फर्जी खबर या भ्रामक जानकारी' फैलाने वालों से के लिए खास प्रावधानों का जिक्र किया गया है। ऐसा करने वाले को तीन साल तक की कैद की सजा दी जाएगी।

इस बिल में छोटे अपराधों के लिए सामुदायिक सेवा को एक सजा के रूप में पेश करने का प्रस्ताव दिया गया है। प्रस्तावित कानून आत्महत्या के प्रयास, अवैध रूप से व्यापार में लगे लोक सेवकों, 5,000 रुपये से कम की संपत्ति की चोरी, सार्वजनिक नशा और मानहानि जैसे मामलों में सामुदायिक सेवा का सुझाव देता है।

पिछले कुछ समय से पहचान छुपा कर किसी युवती को धोखा देकर शादी करने की कई घटनाएं सामने आई हैं। इससे पहले ऐसे अपराध के लिए विशेष कानून नहीं था लेकिन अब पहचान छिपाकर किसी महिला से शादी करने या विवाह, पदोन्नति और रोजगार के झूठे वादे की आड़ में यौन संबंध बनाने पर 10 साल तक की कैद हो सकती है। इन अपराधों से निपटने के लिए पहली बार एक विशिष्ट प्रावधान का प्रस्ताव किया गया है। 

भारतीय न्याय संहिता विधेयक, 2023 के प्रस्तावित कानूनों के अनुसार सामूहिक बलात्कार के सभी मामलों में 20 साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा होगी। 18 साल से कम उम्र की लड़कियों से बलात्कार के मामले में मृत्युदंड की सजा निर्धारित की गई है। विधेयक में कहा गया है कि हत्या के अपराध के लिए मौत की सजा या आजीवन कारावास की सजा होगी। विधेयक के अनुसार, यदि किसी महिला की बलात्कार के बाद मृत्यु हो जाती है या इसके कारण महिला मरणासन्न स्थिति में पहुंच जाती है, तो दोषी को कठोर कारावास की सजा दी जाएगी, जिसकी अवधि 20 वर्ष से कम नहीं होगी और इसे आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकता है। विधेयक के मुताबिक, 12 साल से कम उम्र की लड़की के साथ दुष्कर्म के दोषी को कठोर कारावास की सजा दी जाएगी, जिसकी अवधि 20 वर्ष से कम नहीं होगी और इसे व्यक्ति के शेष जीवन तक कारावास की सजा तक बढ़ाया जा सकता है। 

टॅग्स :संसद मॉनसून सत्रअमित शाहरेपहत्याIPCआईपीसी धारा-377
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