रांचीः झारखण्ड में भी हर दिन कोरोना से मरने वालों की संख्या में बढ़ोतरी होती जा रही है. राजधानी रांची की बात करें तो पिछले 10 दिनों में रांची के श्मशान और कब्रिस्तान में अचानक शवों के आने की संख्या में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई है.
रांची में तो इटली जैसा मंजर देखने को मिल रहा है. मृतकों की संख्या इतनी हो गई है कि मुक्तिधाम में चिता जलाने की जगह कम पड़ गई है. हालात अब ऐसे हो गए हैं कि लोगों को घंटों इंतजार करने पर भी अपने परिजनों के शवों का अंतिम संस्कार करने को नहीं मिल रहा है. नतीजन लोगों ने अब खुले में ही चिता सजाकर शवों को जलाना शुरू कर दिया है.
एक ऐसी तस्वीर सामने आई ही जो बेहद डरावनी है. जहां लोग बीच सड़क पर चिता सजाकर शव जलाने लगे. श्मशान में जगह नहीं रहने की वजह से मुक्तिधाम के सामने की सड़क पर वाहनों की पार्किंग में ही शव रखकर अंतिम क्रिया करने लगे. यही नहीं 12 कोरोना संक्रमित शवों का दाह संस्कार घाघरा में सामूहिक चिता सजाकर किया गया.
रातू रोड और कांटाटोली कब्रिस्तान में भी दफन करने के लिए लंबी कतारें देखी गईं. सबसे अधिक शवों का दाह संस्कार हरमू स्थित मुक्ति धाम में किया जा रहा है. हरमू श्मशान घाट में पिछले कई सालों से शवों का अतिंम संस्कार करने वाले राजू राम ने कहा कि मैंने ऐसा भयानक नजारा उसने कभी नहीं देखा था.
लोग अपने परिजनों के शव का अंतिम संस्कार करने के लिए गिड़गिड़ा रहे हैं. अर्थियों की लंबी कतारें लग जा रही हैं. लोग शवों को सड़क पर रखकर इन्तजार करने को विवश हो रहे हैं. इसके बाद लोग जहां गाड़ियां पार्क करते हैं. वहां भी शवों को जलाना पड़ा. वहीं इस मामले को लेकर लोग नगर निगम के खिलाफ अपनी नाराजगी जाहिर कर रहे हैं.
उनका कहना है की पहले अस्पतालों में बेड के लिए जद्दोजहद करना पडना है. अब शवों को जलाने के लिए भी इन्तजार करना पड़ रहा है. उन्होंने कहा की कोरोना को लेकर सरकार को वैकल्पिक व्यवस्था करनी चाहिए. ऐसी हृदयविदारक दृश्यों को देखकर लोगों ने प्रशासन से अंतिम संस्कार के लिए जरूरी व्यवस्था करने की मांग रखी है. श्मशान घाटों पर काम करने वाले कर्मियों का भी कहना है उन्होंने ऐसा दृश्य पहले कभी नहीं देखा.