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किसानों पर दर्ज सभी केस वापस लेने पर सहमत हुई केंद्र सरकार, आज हो सकती है आंदोलन खत्म होने की घोषणा

By विशाल कुमार | Published: December 09, 2021 7:21 AM

किसान संगठनों की एक बैठक के बाद एसकेएम ने कहा कि अगर उसे गुरुवार दोपहर तक सरकार से औपचारिक सूचना मिलती है, तो यह संभावना है कि आंदोलन को खत्म या अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया जाएगा।

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ठळक मुद्दे32 किसान संगठनों ने बुधवार को दिए गए सरकार के संशोधित प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है।इसमें आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज सभी पुलिस मामलों को वापस लेने की मांग भी शामिल है।आज आंदोलन को खत्म या अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया जाएगा।

नई दिल्ली: पिछले एक साल से दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे किसान आंदोलन को खत्म करने को लेकर संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) की आज सिंघू बॉर्डर पर एक महत्वपूर्ण बैठक हो सकती है क्योंकि एसकेएम के तहत आने वाले 32 किसान संगठनों ने बुधवार को दिए गए सरकार के संशोधित प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है जिसमें आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज सभी पुलिस मामलों को वापस लेने की मांग भी शामिल है। 

बुधवार को संशोधित प्रस्ताव में सरकार ने कहा कि प्रस्तावित रियायतों को देखते हुए आंदोलन जारी रखने का कोई औचित्य नहीं है और किसान संगठनों से इसे वापस लेने का अनुरोध किया।

किसान संगठनों की एक बैठक के बाद एसकेएम ने कहा कि अगर उसे गुरुवार दोपहर तक सरकार से औपचारिक सूचना मिलती है, तो यह संभावना है कि आंदोलन को खत्म या अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया जाएगा।

संशोधित प्रस्ताव के अनुसार केंद्र अन्य राज्यों से भी आंदोलन के दौरान प्रदर्शनकारियों के खिलाफ दर्ज सभी मामलों को वापस लेने की अपील करेगा।

उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश और हरियाणा की सरकारें - सभी भाजपा शासित राज्य प्रदर्शनकारियों के खिलाफ दर्ज सभी मामलों को तत्काल प्रभाव से वापस लेने पर सहमत हुए हैं।

सूत्रों ने कहा कि दिल्ली में प्रदर्शनकारियों और उनके समर्थकों के खिलाफ और एनआईए और ईडी जैसी विभिन्न केंद्रीय एजेंसियों द्वारा दर्ज सभी मामले भी वापस ले लिए जाएंगे।

भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के नेता राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार सभी मामलों को वापस लेने के लिए सहमत हो गई है. आंदोलन सफलता की ओर बढ़ रहा है।

न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए प्रस्तावित समिति के मुद्दे पर किसान नेताओं ने कहा कि सरकार ने साफ किया है कि इसमें एसकेएम के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे।

केंद्र से लंबित मांगों पर चर्चा के लिए गठित पांच सदस्यीय समिति के सदस्य अशोक दावाले ने कहा कि सरकार आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों के परिवारों को मुआवजा देने पर भी सहमत हो गई है।

बिजली (संशोधन) विधेयक पर नए मसौदे में कहा गया है कि सरकार विधेयक पेश करने से पहले सभी हितधारकों और एसकेएम के साथ चर्चा करेगी। 

संशोधित मसौदे में पराली जलाने पर यथास्थिति थी जबकि सरकार कुछ वर्गों को अपराध से मुक्त करने और आपराधिक दायित्व को हटाने के लिए सहमत हुई थी।

टॅग्स :किसान आंदोलनFarmersमोदी सरकारराकेश टिकैतRakesh Tikait
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