नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा करने के बाद संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने रविवार को सिंघू बॉर्डर पर एक बैठक की और कहा कि जब तक तीन कृषि कानूनों को आधिकारिक रूप से निरस्त नहीं किया जाता, तब तक किसानों के प्रतिनिधि विरोध और पूर्व नियोजित कार्यक्रम जारी रखेंगे।
किसान नेता पहले घोषित एजेंडे पर अडिग हैं कि उनका विरोध तब तक जारी रहेगा जब तक कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए कानूनी समर्थन नहीं मिल जाता है और कृषि कानूनों को संसद में संवैधानिक तरीके से निरस्त नहीं किया जाता है।
किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने सिंघू सीमा पर एक प्रेस वार्ता में कहा कि एसकेएम के पूर्व-निर्धारित कार्यक्रमों में 22 नवंबर को लखनऊ में किसान पंचायत, 26 नवंबर को सभी सीमाओं पर सभा और 29 नवंबर को संसद तक मार्च शामिल है।
राजेवाल ने यह भी कहा कि एसकेएम आगे के घटनाक्रम पर चर्चा के लिए 27 नवंबर को एक और बैठक करेगा।
बैठक में बलवीर राजेवाल, गुरुनाम सिंह चधुनी, मंजीत राय दर्शन पाल और योगेंद्र यादव सहित 40 सदस्यों ने भाग लिया।
आंदोलन का नेतृत्व करने वाले प्रमुख संगठनों में से एक, भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के राकेश टिकैत उपस्थित नहीं थे क्योंकि वह इस समय लखनऊ में हैं।
बता दें कि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को तीन कृषि कानूनों को वापस लिए जाने की घोषणा करते हुए कहा था कि इसके लिए संसद के आगामी सत्र में विधेयक लाया जाएगा।