नई दिल्ली: कांग्रेस ने बीते 18 दिसंबर को एक खास कार्यक्रम लॉन्च किया। 'डोनेट फॉर देश' (Donate for Desh) नाम के इस कैंपेन आम आदमी के साथ जुड़ने का साधन बताया और कहा कि देश को आगे ले जाना हम सभी की साझी जिम्मेदारी है, जिसे हमें साथ मिलकर निभाना होगा। इस कैंपेन के माध्यम से कांग्रेस डिजिटल माध्यम से चंदा लेगी।
कांग्रेस के आधिकारिक एक्स अकाउंट पर इस कैंपेन के बारे में कहा गया, "देश को आगे ले जाना हम सभी की साझी जिम्मेदारी है, जिसे हमें साथ मिलकर निभाना होगा। इस जिम्मेदारी को पूरा करने के लिए हम 'Donate for Desh' के जरिए एक और कदम आगे बढ़ रहे हैं। 'Donate for Desh' कैंपेन में हम आम जनता के साथ जुड़ेंगे, आपकी मदद से देश की सामाजिक, आर्थिक और लोकतांत्रिक व्यवस्था की रक्षा करेंगे। आजादी से लेकर आज तक कांग्रेस को हमेशा ही आम जनता का साथ मिला है। हमें देश के लोकतांत्रिक मूल्यों को बचाने के लिए फिर से आपकी जरूरत है। आगे आएं और अपनी जिम्मेदारी निभाएं।"
इसी के साथ पार्टी ने एक लिंक शेयर किया जिस पर क्लिक करके पार्टी को चंदा दिया जा सकता है। अब सोशल मीडिया पर कांग्रेस के इस कैंपेन का मजाक भी उड़ाया जा रहा है। दरअसल कांग्रेस शासन के दौरान वित्त मंत्रालय संभाल चुके पी चिदंबरम ने कभी डिजिटल पेमेंट्स का मजाक उड़ाया था। अब पार्टी जब डिजिटल माध्यम से ही चंदा मांग रही है तब सोशल मीडिया पर इससे जुड़े मीम शेयर किए जा रहे हैं।
(सोशल मीडिया पर बने मीम)
चिदंबरम ने क्या कहा था
कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने संसद में डिजिटल पेमेंट का मजाक उड़ाते हुए कहा था, "आप लोग गांव जाइये और 10 रूपये की सब्ज़ी खरीदिये, वहां बिना मशीन, वाई-फाई, इंटरनेट के कैसे पेमेंट कर पाओगे।"
हालांकि इसके बाद पीएम मोदी ने बिना नाम लिए चिदंबरम को जवाब भी दिया था और कहा था कि मुट्ठी भर अभिजात वर्ग के लोगों ने गरीब लोगों और डिजिटल इंडिया की क्षमता पर संदेह किया और उनमें से एक ने संसद में भी अजीबोगरीब बातें कही। पीएम ने कहा था कि एक समय था जब कुछ एलीट क्लास (अभिजात वर्ग) के लोग हम पर सवाल उठाया करते थे। कुछ लोगों ने सदन में भी इधर-उधर की बातें की। वे सदन के भीतर भी डिजिटल इंडिया का मजाक उड़ाते दिखे। उनका मानना था कि गरीब लोगों में डिजिटल चीजों को समझने की क्षमता नहीं है। वे गरीब लोगों पर शक करते थे। उन्हें शक था कि गरीब लोग डिजिटल इंडिया का मतलब भी नहीं समझेंगे। लेकिन देश के आम आदमी की समझ में, उसकी अंतरात्मा में उसके जिज्ञासु मन में मुझे हमेशा से विश्वास रहा है।
बता दें कि मोदी सरकार ने डिजिटल पेमेंट्स की साल 2016 में शुरुआत की थी। कोविड के समय यह तेजी से बढ़ा। वर्तमान में भारत में कैशलेस ट्रांजेक्शन का कल्चर बढ़ता जा रहा है। आज सब्जी वाले से लेकर चाय वाले तक और बड़े शोरूम में भी यूपीआई के माध्यम से भुगतान किया जा रहा है। आज अगर आप बिना कैश लिए भी बाहर निकलते हैं तो केवल मोबाइल के माध्यम से भुगतान करके लाखों की खरीददारी करके वापस लौट सकते हैं।