ब्लॉग: चीन से उभरते संक्रमणों से रहना होगा सतर्क

By अभिषेक कुमार सिंह | Published: December 21, 2023 10:38 AM2023-12-21T10:38:16+5:302023-12-21T10:39:50+5:30

समस्या सिर्फ नया वेरिएंट ही नहीं है बल्कि इन मामलों को छिपाने की चीन की अदा है, जिसके मामले में कोई ढिलाई भारी पड़ सकती है। असल में बीजिंग, लियाओनिंग और चीन के अन्य स्थानों में करीब एक महीने पहले यानी नवंबर 2023 के मध्य से ही एक और नए वायरस के उभार की खबरें हैं।

Blog Must be cautious of emerging infections from China | ब्लॉग: चीन से उभरते संक्रमणों से रहना होगा सतर्क

(प्रतीकात्मक तस्वीर)

Highlightsकोविड-19 के भयावह उत्पात के बाद दुनिया फिर से अपनी चाल चलने लगी हैकुछ दिनों से चीन में हजारों बच्चों में अज्ञात निमोनिया के मामले दर्ज किए जाने की खबरेंसरकार ने अपने चिकित्सा तंत्र और राज्य सरकारों को पहले ही सचेत कर दिया है

नई दिल्ली: हम चाहें तो इस समानता को अनदेखा कर दें कि चार साल पहले 2019 की दिसंबर में जब चीन के वुहान शहर से कोरोना वायरस के तूफान की लहरें उठी थीं, तो भारत में इस महामारी के शुरुआती मामलों ने सबसे पहले केरल में दस्तक दी थी। हालांकि चार साल के अरसे में कोविड-19 के भयावह उत्पात के बाद दुनिया फिर से अपनी चाल चलने लगी है, लेकिन इधर कुछ दिनों से चीन में हजारों बच्चों में अज्ञात निमोनिया के मामले दर्ज किए जाने की खबरें आती रही हैं। कहीं यह कोरोना का कोई नया वेरिएंट (प्रारूप) तो नहीं है, इसे देखकर केंद्र सरकार ने अपने चिकित्सा तंत्र और राज्य सरकारों को पहले ही सचेत कर दिया है। लेकिन इन सतर्कताओं के बीच केरल में कोविड के एक सब-वेरिएंट जेएन-1 का मामला पकड़ में आ गया है। 

चीन, अमेरिका व सिंगापुर में इसके तेजी से फैलने के समाचारों के साथ पता चला है कि केरल में भारतीय सार्स-सीओवी2 जीनोमिक्स कंसोर्टियम ने 13 दिसंबर 2023 को ही दस्तक दे दी थी। तो क्या इस बार भी चीन से उठा बुखार दुनिया को 2019 की तरह अपनी चपेट में ले सकता है? क्या एक जैसी दिख रही घटनाओं का वैसा ही अंजाम दुनिया एक बार फिर देखने जा रही है, जो वह चार साल के अरसे में काफी गंभीरता से देख चुकी है?

जैसा कि हमने कहा कि कोरोना से सबक के अलावा इस संक्रमण की रोकथाम की कई वैक्सीन ले चुकी दुनिया चाहे तो इस बार कोरोना के नए मामलों से ज्यादा घबराए बिना रह सकती है। इसकी एक वजह यह है कि इस दौरान कोविड-19 जैसे संक्रमणों से निपटने की ज्यादा बेहतर तैयारियां दुनिया के पास हैं, वैक्सीनों का भंडार है और सरकारें जरा-सी आहट पर चौंकने के साथ-साथ तैयारियों के मोड में आ जाती हैं। लेकिन इसका दूसरा पहलू यह है कि मामला बेहद गंभीर होने के बाद भी चीनी सरकार दुनिया को यह नहीं बताती कि इसमें उसकी कितनी गलती है और समस्या वास्तव में कितनी गंभीर है। उसके इस रवैये के लिए जरा चार साल पहले सर्दियों की आमद के साथ चीन के वुहान शहर को याद करें। 

वह वर्ष 2019 का नवंबर-दिसंबर था, जब चीन के हुबेई प्रांत की राजधानी वुहान में सार्स-सीओवी-2 नामक कोरोना वायरस के उभरने की खबरें आई थीं। मीडिया पर चीनी सरकार की सख्ती के बावजूद दुनिया ने बीते 100 वर्षों की सबसे घातक महामारी कोविड-19 की शुरुआती खबरों के साथ चोरी-छिपे फिल्माए गए गिने-चुने वीडियो में सड़कों पर खांसी-जुकाम से पीड़ित गिरते-पड़ते लोग देखे। उस समय चीनी सरकार ने कोरोना वायरस के बारे में तुरंत सचेत करने में जरा भी दिलचस्पी नहीं दिखाई थी। नतीजा पूरी दुनिया ने अगले तीन वर्षों तक भुगता। अब कोरोना के नए वेरिएंट की खबरों के साथ कुछ वैसी ही हलचल शुरू हो चुकी है। लेकिन समस्या सिर्फ नया वेरिएंट ही नहीं है बल्कि इन मामलों को छिपाने की चीन की अदा है, जिसके मामले में कोई ढिलाई भारी पड़ सकती है। असल में बीजिंग, लियाओनिंग और चीन के अन्य स्थानों में करीब एक महीने पहले यानी नवंबर 2023 के मध्य से ही एक और नए वायरस के उभार की खबरें हैं। वहां 10 हजार से ज्यादा अज्ञात निमोनिया के मामले दर्ज किए जा चुके हैं। इस बीमारी के लक्षण उसी तरह इन्फ्लुएंजा जैसी बीमारी वाले हैं- जैसे कोरोना वायरस में दिखे थे। यही नहीं, दक्षिण कोरिया में भी बच्चों में समान लक्षणों के साथ निमोनिया से ग्रसित 200 से अधिक मरीजों की पहचान की गई है।

उधर अमेरिका, सिंगापुर के बाद हमारे केरल और अब अन्य राज्यों में भी कोरोना के नए चेहरे की झलक दिख गई है. इससे लगता है कि कहीं इस बार भी चीन से निकलकर कोई नया वायरस दुनिया के दूसरे देशों में तो फैल नहीं गया है। यूं तो विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ ने चीनी अधिकारियों का हवाला देकर दिलासा देने की कोशिश की है कि इस बार चीन में जो बीमारी फैली है, उसके पीछे कोविड-19 प्रतिबंधों को हटाना और इन्फ्लुएंजा, माइकोप्लाज्मा निमोनिया (एक सामान्य जीवाणु संक्रमण जो आम तौर पर छोटे बच्चों को प्रभावित करता है) से जुड़ा सिंकाइटियल वायरस है। हालांकि कुछ विशेषज्ञ इसके लिए सर्दी के मौसम, चीनी लोगों में इम्युनिटी के अभाव के साथ-साथ किसी नए वायरस के अंदेशे की बात भी कह रहे हैं। लेकिन वायरसों के उद्भव, उनके प्रसार और दुनिया से संबंधित जानकारियों को छिपाने के इतिहास को देखते हुए चीन के आश्वासनों पर कम ही यकीन किया जा रहा है।

उल्लेखनीय है कि चीनी स्वास्थ्य अधिकारियों और डब्ल्यूएचओ, दोनों पर कोविड-19 महामारी पर अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट में पारदर्शिता की कमी का आरोप लगाया गया था। यही नहीं, सार्स और कोविड-19, दोनों को सबसे पहले असामान्य प्रकार के निमोनिया के रूप में ही रिपोर्ट किया गया था। अब तो कोरोना के नए वेरिएंट जेएन-1 की दस्तक भी मिल चुकी है। ऐसे में जरूरी है कि दुनिया चीन से उभरते नए संक्रमणों को लेकर अत्यधिक सतर्क रहे। कोविड-19 ने साबित किया है कि खांसी, बुखार, सांस लेने में तकलीफ और सीने में दर्द जैसे लक्षण सिर्फ बच्चों और वृद्धों के लिए कष्टकर नहीं होते, बल्कि ज्यादातर मामलों में ये जानलेवा साबित हो सकते हैं। और फिर कोई यह कैसे भूल सकता है कि कोविड-19 को बच्चों के मामले में सबसे कम असरदार बताया गया था, जबकि इधर चीन में ज्यादातर संक्रमण बच्चों में ही देखने को मिल रहा है। निश्चय ही चीन से उठा बुखार खतरे की घंटी है, जिसे अनसुना करना घातक हो सकता है।

Web Title: Blog Must be cautious of emerging infections from China

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