नई दिल्ली: जम्मू कश्मीर में आतंकवादियों के सफाए का अभियान जारी है। दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग जिले के ऊंचे इलाके में लश्कर-ए-तैयबा के आतंकियों को ढेर करने के लिए चलाए जा रहे अभियान में भारतीय सेना को दो अफसर, जम्मू-कश्मीर पुलिस के एक डीएंसी और एक सेना के एक जवान अपनी जान कुर्बान कर चुके हैं। लेकिन इसे लेकर अब सियासी बयानबाजी भी शुरू हो गई है। जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि ऐसी घटनाएं रोकने के लिए पाकिस्तान से बातचीत जरूरी है। वहीं कांग्रेस नेता सैफुद्दीन सोज ने भी विवादित बयान दिया।
इन नेताओं के बयानों पर बीजेपी हमलावर है। बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। उन्होंने फारुक अब्दुल्ला और सैफुद्दीन सोज के आड़े हाथों लेते हुए कहा कि सरकार का मत साफ है कि आतंकवाद और बातचीत साथ-साथ नहीं हो सकती। पात्रा ने कहा कि ऐसे मुद्दे पर सियासी बयानबाजी करना दुखद है।
संबित पात्रा ने कहा, "मुझे आश्चर्य है कि जब देश में ऐसी स्थिति (अनंतनाग मुठभेड़) सामने आ रही है, तब भी कुछ नेता ऐसे बयान देते हैं जो देश के खिलाफ हैं। कांग्रेस नेता सैफुद्दीन सोज ने कहा कि भारत को न केवल पाकिस्तान से बातचीत करनी चाहिए बल्कि पीएम मोदी को ये भी समझने की कोशिश करनी चाहिए कि आतंकियों के मन में क्या चल रहा है। हम इस बयान की निंदा करते हैं। जहां तक फारूक अब्दुल्ला और दूसरे नेताओं की बात है तो उन्होंने भी पाकिस्तान से बातचीत की बात कही है। भारत ने कहा है और हजार बार कहा गया है कि बातचीत और आतंक कभी एक साथ नहीं चल सकते। फिर भी, जब सैनिक अपने जीवन का बलिदान दे रहे हैं और जब उनका अंतिम संस्कार किया जा रहा है, तो ऐसे बयान दिए जा रहे हैं - यह न केवल अनुचित है, बल्कि दुखद भी है। भारत जवाब देगा।"
बता दें कि आतंकवादियों के सफाए के लिए इलाके में अतिरिक्त सुरक्षा बलों को भेजा गया है। आतंकवादी संभवत: पहाड़ों में बने एक प्राकृतिक गुफा में छिपे हुए हैं। इस ऑपरेशन में 19 राष्ट्रीय राइफल्स के कमांडिंग ऑफिसर कर्नल मनप्रीत सिंह, मेजर आशीष ढोचक, पुलिस उपाधीक्षक हुमायू भट्ट और एक सैनिक - बुधवार को मुठभेड़ में शहीद हो गए थे।
बता दें कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने भी जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में सुरक्षाकर्मियों के शहीद होने के मामले में केंद्र पर निशाना साधते हुए कहा कि सत्ता पक्ष शहीदों को श्रद्धांजलि देने में जरा भी देर नहीं लगाता, लगता है कि सरकार यह उम्मीद करती है कि लोग कश्मीर पर उसकी ‘‘बकवास नीति’’ के बचाव में अपनी जान कुर्बान करेंगे।