मेजर ध्यानचंद ने साल 1928, 1932 और 1936 में लगातार तीन बार ओलंपिक में हॉकी के गोल्ड मेडल पर कब्जा जमाया। इसके 40 साल बाद साल 1975 के वर्ल्ड कप में उनके बेटे अशोक कुमार भारत को चैंपियन बनाया। ...
कई बार ऐसा भी देखा गया है कि बच्चों का मन प्राय: किसी खेल में नहीं लगता. मेजर ध्यानचंद के बारे में भी यही कहा जाता है मगर उनके एक साथी ने उन्हें इतना उत्साहित किया कि वे एक तरह से हॉकी से प्यार ही करने लगे. यही जज्बा मोदी सरकार की ‘खेलो इंडिया’ योजना ...
बावा ने स्वीकार किया कि वह काफी बड़े खिलाड़ी नहीं थे, लेकिन अपने मूल मंत्रों पर चलते हुए जमीनी स्तर पर सफल कोच बने। इस कोच का हालांकि मानना है कि उन्हें पुरस्कार जल्दी मिल गया। ...
ओलंपिक हॉकी फाइनल में सर्वाधिक गोल का बलबीर सिंह सीनियर का रिकॉर्ड आज तक कायम है। उन्होंने हेलसिंकी ओलंपिक 1952 में नीदरलैंड के खिलाफ फाइनल में भारत की 6-1 से जीत में पांच गोल दागे थे। ...
शमशेर ने 18वें मिनट में भारत के लिये दूसरा गोल पेनल्टी कॉर्नर पर दागा। न्यूजीलैंड की टीम दूसरे क्वार्टर में दो बार सर्कल में घुसने में कामयाब रही, जबकि भारत ने तीन और गोल दाग दिये। ...