नई दिल्लीः मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने शुक्रवार को घोषणा की कि विभिन्न बोर्ड द्वारा 12वीं कक्षा की परीक्षा को आंशिक रूप से रद्द करने के मद्देनजर इस वर्ष भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) ने प्रवेश मानदंडों में छूट देने का निर्णय किया है।
निशंक ने ट्वीट किया, ‘‘ बोर्डो द्वारा 12वीं कक्षा की परीक्षा को आंशिक रूप से रद्द करने के मद्देनजर संयुक्त नामांकन बोर्ड (जेएबी) ने इस बार जेईई एडवांस 2020 पास छात्रों के लिये दाखिला मानदंडों में छूट देने का निर्णय किया है। ’’ उन्होंने कहा कि ऐसे पात्र उम्मीदवार जिन्होंने 12वीं कक्षा की परीक्षा पास की है, वे दाखिला लेने के पात्र होंगे और उन्हें मिले अंकों से कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
निशंक ने कहा कि आईआईटी में दाखिले के लिये जेईई एडवांस में पास होने होने के अलावा 12वीं बोर्ड की परीक्षा में न्यूनतम 75 प्रतिशत अंक प्राप्त करना होगा अथवा पात्रता परीक्षा में शीर्ष 20 पर्सेंटाइल में स्थान बनाने की पात्रता होती है।
पहले देश को डिजिटल बनाइए, फिर डिजिटल परीक्षा लीजिए: सिब्बल
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने विश्वविद्यालयों में अंतिम वर्ष की परीक्षाएं सितंबर के अंत तक ऑनलाइन अथवा ऑफलाइन कराने के फैसले को लेकर शुक्रवार को सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि पहले सही मायनों में देश को डिजिटल बनाया जाए और फिर डिजिटल परीक्षा की बात हो। ऑल इंडिया प्रोफेशनल कांग्रेस की दिल्ली इकाई की ओर से वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से आयोजित एक कार्यक्रम में पूर्व मानव संसाधन विकास मंत्री ने यह भी कहा कि कोरोना महामारी का संकट खत्म होने के बाद परीक्षाएं ली जाएं।
उन्होंने कहा, ‘‘हम यह नहीं कह रहे हैं कि परीक्षा मत लीजिए। हमारा सिर्फ यह कहना है कि परीक्षा उस वक्त लीजिए जब चीजें सामान्य हो जाएं। फिलहाल के लिए छात्रों को प्रोन्नति देने के लिए उनके पिछले प्रदर्शन पर विचार किया जाए।’’ सिब्बल ने सरकार पर तंज कसते हुए कहा, ‘‘आप डिजिटल इंडिया के बारे में बातें करते रहते हैं, लेकिन देश को डिजिटल तौर पर नहीं जोड़ते हैं। यह किस तरह की राजनीति है? पहले डिजिटज इंडिया बनाइए और फिर डिजिटल परीक्षा लीजिए।’’
उन्होंने कहा कि सभी छात्रों के पास इन्टरनेट की सुविधा नहीं है, देश के कितने ही परिवारों की इतनी सालाना आय ही नहीं है की वो स्मार्ट फ़ोन खरीद सकें। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के पूर्व प्रमुख सुखदेव थोराट और अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति ज़मीरूद्दीन शाह ने भी इस कार्यक्रम में अपनी बात रखी। मानव संसाधन विकास मंत्रालय के मुताबिक, विश्वविद्यालयों में अंतिम वर्ष की परीक्षाएं सितंबर के अंत तक आयोजित होंगी। यूजीसी के दिशा-निर्देशों में कहा गया है, '' विश्वविद्यालय अथवा संस्थान द्वारा अंतिम वर्ष की परीक्षाएं ऑनलाइन, ऑफलाइन या दोनों माध्यमों से सितंबर अंत तक आयोजित की जाएंगी।''