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ब्लॉग: आतंक, राजनीतिक अस्थिरता, आर्थिक बदहाली, सेना की भूमिका...पाकिस्तान के भविष्य पर सवालिया निशान लगा रही कई वजहें

By शोभना जैन | Updated: March 17, 2023 08:16 IST

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अपने अस्तित्व के बाद से ही रह-रह कर आंतरिक उथल-पुथल, अस्थिरता के दौर से गुजर रहा पाकिस्तान एक बार फिर घोर आंतरिक उथल-पुथल के दौर में है लेकिन इस बार इस संकट को उसके इतिहास का सबसे गंभीर संकट माना जा रहा है. एक तो पाकिस्तान बेहद आर्थिक बदहाली के दौर में है, विश्व की आलोचनाओं के बावजूद आतंक का केंद्रबिंदु बने रहने से वह दुनिया भर में अलग-थलग पड़ता जा रहा है, सेना और सरकार के बीच अक्सर रहने वाली साठगांठ या कभी-कभार की तल्खियां जगजाहिर हैं. 

इसी क्रम में अब पूर्व प्रधानमंत्री व पाकिस्तान तहरीके इंसाफ- पीटीआई के अध्यक्ष  इमरान खान  के खिलाफ  तोशाखाना मामले को लेकर पीटीआई समर्थक जिस तरह से उग्र होकर उनके पक्ष में सड़कों पर उतर आए हैं, उसे देखते हुए आखिरकार सरकार समझ गई है कि उसकी खुली आक्रामकता से यह संकट हल होने वाला नहीं है. एक तरफ जहां इमरान खान पर गिरफ्तारी की तलवार लटकी हुई है वहीं दूसरी तरफ पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ ने एक तरह से इमरान के साथ सुलह-सफाई करने की कोशिश की है. 

शाहबाज ने हाल ही में इमरान खान से भेंट की और कहा कि सभी राजनीतिक ताकतों को एक साथ मिल कर वर्तमान राजनीतिक और आर्थिक संकट का हल निकालना होगा. साथ ही उन्होंने विपक्ष की आशंकाओं के बीच यह भी आश्वासन दिया कि चुनाव आयोग द्वारा निर्धारित समय पर ही चुनाव होंगे.

गौरतलब है कि अपने गठन के बाद से ही पाकिस्तान एक के बाद एक संकट में उलझता रहा है. राजनीतिक संकट और अस्थिरता के साथ ही अगर पाकिस्तान की आर्थिक बदहाली की बात करें तो सिर्फ इस बार ही नहीं, 1980 के बाद से ही पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष से 13 बार मदद ले चुका है. खुद शाहबाज का कहना है कि पाकिस्तान के आर्थिक हालात बेकाबू हो चुके हैं. जरूरी चीजों की भारी किल्लत है. और जो सामान उपलब्ध भी हैं उनकी कीमत ऐसी है कि आम आदमी खरीद नहीं सकता है. 

इसी पृष्ठभूमि में कोष की अध्यक्ष क्रिस्टालिना जॉर्जिवा का यह बयान अहम है कि पाकिस्तान को ऐसी खतरनाक स्थिति से निकलने के लिए कड़े कदम उठाने होंगे.

इमरान खान के खिलाफ इस्लामाबाद के जिला और सत्र न्यायालय में सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि अगर इमरान खान आत्मसमर्पण कर देते हैं तो अदालत पुलिस को आदेश दे सकती है कि वह उन्हें गिरफ्तार न करे. उन्हें कोर्ट के सामने पेश होना चाहिए. बहरहाल, इमरान खान के समर्थकों और सुरक्षाबलों के बीच रह-रह कर झड़पों के बीच फिलहाल गिरफ्तारी एक दिन के लिए रुक गई है. इमरान खान गिरफ्तारी से बच रहे हैं. वो ये आशंका जाहिर कर रहे हैं कि उनकी गिरफ्तारी उन्हें अगवा करने या मार देने की साजिश है. 

वहीं पाकिस्तान की सरकार का कहना है कि अदालत के आदेश पर पुलिस उन्हें गिरफ्तार करके अदालत के समक्ष पेश करने के लिए गई है. पाकिस्तान की एक जिला व सत्र अदालत ने सुनवाई के दौरान हाजिर रहने की चेतावनी को बार-बार नजरअंदाज किए जाने के बाद इमरान खान के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया है.

इसी बीच भारत और पाकिस्तान के बीच मौजूदा तल्ख रिश्तों के बावजूद एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए भारत ने शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के मौजूदा अध्यक्ष के नाते पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ को अगले महीने नई दिल्ली में होने वाली शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया है. विदेश मंत्रालय की एक रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान प्रायोजित सीमा पार आतंकवाद में कोई कमी नहीं आई है. 

मंत्रालय ने 2022 की अपनी वार्षिक रिपोर्ट में कहा कि भारत को बदनाम करने और अपनी घरेलू राजनीतिक एवं आर्थिक विफलताओं से ध्यान बंटाने के लिए पाकिस्तान ‘शत्रुतापूर्ण एवं मनगढ़ंत दुष्प्रचार’ को जारी रखे हुए है. एक पूर्व राजनयिक के अनुसार एससीओ के अध्यक्ष के नाते भारत निमंत्रण भेजकर अपना दायित्व निभा रहा है, पाकिस्तान जिस भीषण दौर से गुजर रहा है, उसके लिए सही फैसला यही होगा कि वह अपने पड़ोसियों के साथ वही नेक भावना दिखाए जैसा कि उसके पड़ोसी देश दिखा रहे हैं.

इससे पहले, भारत ने विदेश मंत्रियों की बैठक और एससीओ के मुख्य न्यायाधीशों की बैठक में भाग लेने के लिए पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश उमर अता बांदियाल और विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो-जरदारी को एक अलग निमंत्रण दिया था. हालांकि, बांदियाल बैठक से बाहर हो गए, बिलावल की यात्रा पर निर्णय लंबित है.

निश्चय ही पाकिस्तान के राजनीतिक इतिहास में यह एक निर्णायक पल है. आतंक को प्रश्रय देने के लिए दुनिया भर में अलग-थलग पड़ चुके, राजनीतिक अस्थिरता और आर्थिक बदहाली के अब तक के सबसे गंभीर दौर से गुजर रहे पाकिस्तान के हुक्मरानों, राजनैतिक नेताओं और सेना को ही अब तय करना है कि देश का भविष्य क्या हो, सेना की वहां क्या भूमिका हो, आतंकी गतिविधियों पर लगाम लगे या नहीं, ऐसे तमाम मुद्दों से देश में राजनीति के भविष्य की दिशा तय होगी और पाकिस्तान की राजनीतिक स्थिरता से न केवल पाकिस्तान प्रगति कर सकेगा बल्कि क्षेत्र की शांति, सुरक्षा और प्रगति के लिए भी यह जरूरी है.

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