जिसे ‘ब्रिटिश पोस्ट ऑफिस स्कैंडल’ कहा जाता है, उसकी दिल दहला देने वाली कहानियां सामने आ रही हैं। इसे सामने लाने का श्रेय एक लोकप्रिय टीवी नाटक ‘मि बेट्स बनाम द पोस्ट ऑफिस’ को जाता है, जिसने इसकी सच्चाई को जनता तक पहुंचाया और सरकार को ‘ब्रिटिश कानूनी इतिहास में न्याय की सबसे बड़ी हत्या’ पर कार्रवाई करने के लिए मजबूर किया। यह घटना सरकारों और अदालतों के लिए सत्य के अंतिम प्रमाण के रूप में कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर पर भरोसा करने के खिलाफ एक चेतावनी भी है।
जनमत की ताकत इतनी थी कि इसने ब्रिटिश प्रधानमंत्री ऋषि सुनक को विगत 10 जनवरी को यह घोषणा करने के लिए मजबूर किया कि पीड़ितों को दोषमुक्त करने और मुआवजा देने के लिए एक नया कानून पारित किया जाएगा। आम माफी कानूनी रूप से आवश्यक है क्योंकि दोषसिद्धि के खिलाफ टुकड़े-टुकड़े अपील में अब तक केवल 93 मामले शामिल थे। जबकि 230 लोग जेल में थे।
1999 में सरकार के स्वामित्व वाले ब्रिटिश पोस्ट ऑफिस ने फुजित्सु के स्वामित्व वाले आईसीएल पाथवे द्वारा विकसित ‘होराइजन आईटी’ के माध्यम से एक नई लेखा प्रणाली शुरू की। इस नए सॉफ्टवेयर की घोषणा 1995 में तत्कालीन कंजर्वेटिव मंत्री पीटर लिली द्वारा कंजर्वेटिव पार्टी सम्मेलन में मैनुअल अकाउंटिंग की जगह एक प्रमुख सुधार के रूप में की गई थी। तब यह दावा किया गया था कि नया सॉफ्टवेयर सिस्टम 150 मिलियन पाउंड की अनुमानित वार्षिक धोखाधड़ी को रोकेगा।
लेकिन ऐसा नहीं हो सका। सॉफ्टवेयर गड़बड़ियों से भरा था। इसने उनके लेखांकन में ‘झूठी कमी’ दिखाई जिसके लिए उप-डाकघरों को दोषी ठहराया गया। इसके परिणामस्वरूप दुनिया की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था माने जाने वाले ब्रिटेन में न्याय की सबसे बड़ी हत्या हुई।
यूनाइटेड किंगडम में ऐसा हो सकता है, इससे यह भी संकेत मिलता है कि उसने अपनी प्रशासनिक दक्षता और न्याय वितरण प्रणाली की किस तरह उपेक्षा की है। 1999 से 2015 के बीच 700 से अधिक उप ‘पोस्टमास्टरों’ और ‘पोस्ट मिस्ट्रेस’ के खिलाफ मुकदमा चलाने और चार पीड़ितों द्वारा आत्महत्या करने के बावजूद जनता को इस मामले की तीव्रता के बारे में पता नहीं था।
मई 2009 में ‘कम्प्यूटर वीकली’ ने इस प्रणाली की खामियां प्रकाशित कीं। उस वर्ष सितंबर में एलन बेट्स नामक एक उप-पोस्टमास्टर ने न्याय की मांग करते हुए उप-पोस्टमास्टरों का एक समूह बनाया। उनके प्रयासों से एक लोकप्रिय टीवी नाटक ‘मि। बेट्स बनाम पोस्ट ऑफिस’ बना। 2019 में बेट्स और 555 उप-पोस्टमास्टरों ने डाकघर पर मुकदमा दायर किया। न्यायालय ने माना कि होराइजन आईटी बग्स से भरा हुआ था।