भारत के बाहर हिंदी का प्रयोग भाषा और संस्कृति की दृष्टि से दक्षेस, खाड़ी देश, यूरोप, अमेरिका, मॉरीशस, सूरीनाम, फीजी, गयाना, त्रिनिदाद, दक्षिण अफ्रीका आदि में हो रहा है। विश्व हिंदी सचिवालय मॉरीशस में स्थापित हुआ है। 11वां विश्व हिंदी सम्मेलन भी अगस्त
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अल नीनो को खराब मानसून से जोड़ कर देखा जाता है. इसे एक खतरे के तौर पर देखा जाता है. आंकड़ों बताते हैं कि अल नीनो वर्ष होने पर देश में सूखा पड़ने की आशंका करीब 60 प्रतिशत होती है
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जब अफगानिस्तान से नाटो सेना की वापसी हुई और अमेरिका ने तालिबान के साथ समझौता किया तो पाकिस्तान प्रसन्न मुद्रा में था. हालांकि अब समीकरण बदले नजर आ रहे हैं.
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भारतीय संस्कृति की मान्यताओं में गाय केवल दुधारू प्राणी ही नहीं है, वह मोक्षदायिनी और वात्सल्यमयी भी है इसीलिए वह गले लगाने से कहीं ज्यादा पूजनीय है.
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अमेरिका को व्यभिचार और बलात्कार ने तंग करके रख दिया है। इन मामलों में फंसनेवाले लोगों की संख्या उसकी जेलों में सबसे ज्यादा है। जो लोग पकड़े नहीं जाते, उनकी संख्या पकड़े जानेवालों से ज्यादा होती है। वे समाज में तनाव और अविश्वास बढ़ा देते हैं।
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हमारे राजनेता जाति को लेकर बड़े ही संवेदनशील रहते हैं क्योंकि वे एक ओर जाति का विरोध करते नहीं थकते क्योंकि वह विषमताओं का कारण मानी जाती है, दूसरी ओर एक सामाजिक समस्या के रूप में जाति का भरपूर विरोध किया जाता है.
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आजादी के बाद संचार का प्रमुख जरिया रेडियो ही था. अस्सी के दशक से पहले के जनमानस के बचपन का भी सीधा वास्ता रेडियो से ही होता था. संचार के विभिन्न आयाम जैसे गाना, समाचार, सभी सूचनाओं का संगम भी रेडियो में समाया होता था. लाइव मैच की कमेंट्री हो या सरकार
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तुर्की में बहुमंजिला इमारतें भूकंपरोधी नहीं थीं, इसलिए विनाश का मंजर इतना ज्यादा खतरनाक हो गया। जरा सोचिए कि कभी अत्यंत घनी आबादी वाले भारत के शहरों में 7 से ऊपर तीव्रता वाला भूकंप आ जाए तो हालात कितने खतरनाक होंगे! इसलिए चिंता करना जरूरी है कि भूकंप
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सड़क से सत्ता तक का सफर तय करवाने में राष्ट्रीय राजनीति में एक और यात्रा महत्वपूर्ण रही। वह थी लालकृष्ण आडवाणी की सोमनाथ से अयोध्या तक की राम मंदिर रथ यात्रा। केंद्र में जब जनता दल सरकार आंतरिक कलह में हिचकोले खा रही थी, तभी उसे बाहर से समर्थन दे रही
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