विश्व रेडियो दिवस: क्या खत्म हो गई है रेडियो की प्रासंगिकता?

By रमेश ठाकुर | Published: February 13, 2023 10:21 AM2023-02-13T10:21:58+5:302023-02-13T10:23:31+5:30

World Radio Day: Has radio lost its relevance today? | विश्व रेडियो दिवस: क्या खत्म हो गई है रेडियो की प्रासंगिकता?

विश्व रेडियो दिवस: क्या खत्म हो गई है रेडियो की प्रासंगिकता?

आजादी के बाद संचार का प्रमुख जरिया रेडियो ही था. अस्सी के दशक से पहले के जनमानस के बचपन का भी सीधा वास्ता रेडियो से ही होता था. संचार के विभिन्न आयाम जैसे गाना, समाचार, सभी सूचनाओं का संगम भी रेडियो में समाया होता था. लाइव मैच की कमेंट्री हो या सरकारी कामकाज, खेतीबाड़ी, रोजगार आदि की जानकारी का भी यही एकमात्र साधन होता था.

नब्बे के दशक के बाद जैसे ही देश ने बदलाव की अंगड़ाई लेनी शुरू की, उसके बाद बहुत कुछ पीछे छूट गया, काफी कुछ बदला. हालांकि उससे पहले ब्लैक एंड व्हाइट टीवी की दस्तक हो चुकी थी, लेकिन जबसे रंगीन टीवी का आगाज हुआ, लोगों की रुचि एकाएक रेडियो से कम होने लगी. 

इसके बाद ‘ऑल इंडिया रेडियो’ ने भी प्रादेशिक स्तर पर कई स्टेशन समेट लिए. तब दर्शक तेजी से टीवी की ओर दौड़े, लेकिन एक वर्ग तब भी ऐसा था जो नहीं डगमगाया, उसने सदैव रेडियो को ही प्राथमिकता दी. रेडियो के चाहने वालों की संख्या अब भी अच्छी खासी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी ‘मन की बात’ रेडियो के माध्यम से करते हैं.

आज का दिन यानी 13 फरवरी रेडियो के लिए समर्पित है, जिसे ‘विश्व रेडियो दिवस’ के रूप में मनाया जाता है. इस दिन की शुरुआत सन्‌ 2011 में हुई थी. उसके एक साल पहले ‘स्पेन रेडियो अकादमी’ ने 13 फरवरी को विश्व रेडियो दिवस मनाने के लिए पहली बार सार्वजनिक रूप से प्रस्ताव रखा था. 

फिर साल 2011 में यूनेस्को के सदस्य देशों ने इस प्रस्ताव को स्वीकारा, तभी 13 फरवरी के दिन ‘विश्व रेडियो दिवस’ मनाने का निर्णय हुआ. सन्‌ 2012 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने भी स्वीकार कर लिया. उसी साल 13 फरवरी को पहली बार यूनेस्को ने विश्व रेडियो दिवस मनाया.

Web Title: World Radio Day: Has radio lost its relevance today?

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