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वरिष्ठ पत्रकार महेश खरे का ब्लॉग: पाक के मंसूबों पर भारत ने पानी फेरा

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: March 5, 2019 09:24 IST

मुस्लिम राष्ट्रों के 57 सदस्यीय संगठन में भारत को इतना महत्व मिलने के पीछे भी भारत की एक कूटनीतिक कहानी है। इसका कारण भारत की आर्थिक क्षमता और नीति ही है।

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भारत पाकिस्तान में पल रही आतंकी गतिविधियों के खिलाफ सफलता के झंडे गाड़ रहा है। 57 देशों के जिस ओआईसी संगठन का पाकिस्तान संस्थापक रहा है, उन देशों ने भी उसे अनसुना कर दिया। पाक विदेश मंत्नी कुरैशी चीखते रहे कि अगर भारत अबूधावी बैठक में आया तो वह बैठक का बहिष्कार करेंगे, लेकिन ओआईसी के मुस्लिम राष्ट्रों ने पाक की एक नहीं सुनी और भारत को चीफ गेस्ट बनाया। 

विदेश मंत्नी सुषमा स्वराज बैठक में शामिल हुईं और उन्होंने आतंकवाद के मुद्दे को पुरजोर तरीके से उठाया। बहिष्कार की धमकी देने वाले पाकिस्तान के मंसूबों पर पूरी तरह पानी फिर गया। बाद में उसके हताश अधिकारी कश्मीर मामले को बैठक के एजेंडे में शामिल कराने के लिए लाबिंग करने के प्रयास में लगे रहे। संस्थापक सदस्य पाकिस्तान को ओआईसी में ऐसी जिल्लत पहली बार ङोलनी पड़ी। भारत के कूटनीतिक प्रयास यहां भी कारगर साबित हुए।

मुस्लिम राष्ट्रों के 57 सदस्यीय संगठन में भारत को इतना महत्व मिलने के पीछे भी भारत की एक कूटनीतिक कहानी है। इसका कारण भारत की आर्थिक क्षमता और नीति ही है। भारत ने ओआईसी मुस्लिम देशों को उदारता के साथ 12 बिलियन डॉलर तक का कर्ज दिया है। इसके अलावा भी इन देशों को 4 बिलियन डॉलर की आर्थिक मदद भारत से मिली है। यही नहीं भारत उन्हें एजुकेशनल लोन भी मुहैया करा रहा है। ओआईसी की बेबसाइट पर यह जानकारी शेयर की गई है। खलीज टाइम्स अखबार ने भी भारत के योगदान पर तारीफों के पुल बांधे हैं। पुलवामा के बाद भारत सामरिक और कूटनीतिक दोनों रूप से काफी सफल ही नहीं रहा, बल्कि एक मजबूत राष्ट्र के रूप में संसार के समक्ष उभर कर आया। बदले भारत ने पाकिस्तान की जमीन में घुस कर 350 से अधिक आतंकियों का सफाया करने में कामयाबी हासिल की। हालत यह कि भारतीय वायुसेना के मिराज 2000 आतंकी शिविरों पर तबाही बरपा कर लौट भी आए और पाकिस्तानी फौज को कानोंकान भनक भी नहीं लग पाई। 

पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने भारतीय पायलट अभिनंदन की आड़ में सौदेबाजी करने की कोशिश की। यहां भी पाकिस्तान गलत इरादों और चालों की वजह से लज्जित ही हुआ। अभिनंदन की रिहाई के बदले न भारत सरकार झुकी और न ही हमारा विंग कमांडर। पहले से ही झूठ का रास्ता अपना रहे पाकिस्तान ने अभिनंदन की रिहाई को एक समारोह के रूप में अपनी दरियादिली दिखाने का प्रयास किया। लेकिन सतर्क भारत ने उसके इस मंसूबे पर पानी फेर दिया। पाक चाह रहा था कि बीटिंग रिट्रीट के समय समारोहपूर्वक विंग कमांडर भारत को शांतिदूत बन कर सौंपा जाए। भारत उसकी चाल समझ गया और उसने अपनी ओर की बीटिंग रिट्रीट ही रद्द कर दी। शांतिदूत का रूप दिखाने पाकिस्तान का सपना चूर-चूर हो गया। यहां भी भारत ने दुनिया के सामने अपनी मजबूत राष्ट्र की छवि प्रदर्शित करने में सफलता हासिल की।

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