World Organ Donation Day 2025: अंगदान, मानवता का वह महानतम उपहार है, जिसमें कोई व्यक्ति अपनी मृत्यु के बाद भी जीवन की किरण बनकर कई अन्य लोगों को जीवित रखता है. यह न केवल एक व्यक्ति की जान बचाने का कार्य है बल्कि पूरे परिवारों को उम्मीद और संजीवनी देने वाला सामाजिक मिशन भी है. किसी एक व्यक्ति द्वारा अंगदान करना केवल एक अंग का हस्तांतरण नहीं बल्कि उस व्यक्ति और परिवार के लिए जीवन का नया आश्वासन और एक जीवंत संजीवनी है. अंगदान उस महान मानवीय परंपरा का प्रतीक है, जिसमें एक व्यक्ति मृत्यु के बाद भी जीवित बना रह सकता है.
प्रत्येक वर्ष 13 अगस्त को अंगदान के महत्व और इसके जरिये अनगिनत जीवन बचाने के संदेश को फैलाने के लिए ‘विश्व अंगदान दिवस’ मनाया जाता है. दरअसल दुनियाभर में हर साल लाखों लोग अंग प्रत्यारोपण की प्रतीक्षा में होते हैं लेकिन अंगदाताओं की कमी के कारण अनेक मरीज समय पर इलाज नहीं पा पाते.
डब्ल्यूएचओ के अनुसार, अंगदान से हृदय, गुर्दा, यकृत, फेफड़े, अग्न्याशय और कॉर्निया जैसे अंग प्रत्यारोपित कर हजारों जीवन बचाए जा सकते हैं. जब कोई व्यक्ति अंगदान करता है तो वह अपने अंगों से आठ लोगों को जीवन दे सकता है और ऊतकों से कई और लोगों की सहायता कर सकता है. अंगदान और प्रत्यारोपण की दिशा में वैश्विक स्तर पर प्रगति हो रही है.
लेकिन मांग और आपूर्ति के बीच की खाई अब भी बहुत गहरी है. विश्व स्वास्थ्य संगठन और ग्लोबल ऑब्जर्वेटरी ऑन डोनेशन एंड ट्रांसप्लांटेशन के अनुसार, वर्ष 2023 में दुनिया में लगभग 1,72,400 ठोस अंग प्रत्यारोपण हुए, जिनमें सबसे अधिक हिस्सा गुर्दे का रहा, जो कुल प्रत्यारोपण का लगभग 65 प्रतिशत है, इसके बाद यकृत 24 प्रतिशत, हृदय 6 प्रतिशत, फेफड़े 4 प्रतिशत और अग्न्याशय लगभग 1 प्रतिशत रहे.
इसी अवधि में करीब 45,861 मृतक अंगदाता दर्ज किए गए, जिनमें अधिकांश मस्तिष्क मृत्यु के बाद अंगदान करने वाले थे. इन आंकड़ों के अनुसार, विश्व में हर घंटे औसतन 18 अंग प्रत्यारोपण किए जाते हैं. वैश्विक आवश्यकता की पूर्ति अब भी 10 प्रतिशत से भी कम है यानी लगभग 90 प्रतिशत जरूरतमंद मरीजों को समय पर अंग उपलब्ध नहीं हो पाते. हालांकि, वर्ष 2010 की तुलना में 2022 तक प्रत्यारोपण की संख्या में 52 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, परंतु यह वृद्धि मांग की तुलना में अपर्याप्त है.