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अमीरी-गरीबी की खाई का बढ़ना बेहद चिंताजनक

By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Published: January 17, 2024 11:31 AM

गरीबी और अमीरी के बीच की बढ़ती खाई को दर्शाने वाली ऑक्सफैम की ताजा रिपोर्ट बेहद चिंताजनक है।

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ठळक मुद्देऑक्सफैम की ताजा रिपोर्ट ने गरीबी और अमीरी के बीच की बढ़ती खाई को बताया चिंताजनक दुनियाभर में आर्थिक विकास का जो तंत्र अपनाया जा रहा है, वह कहीं न कहीं त्रुटिपूर्ण हैगरीब होने की कीमत पर अगर कुछ लोग समृद्ध हो रहे हों तो यह चिंता की बात है

गरीबी और अमीरी के बीच की बढ़ती खाई को दर्शाने वाली ऑक्सफैम की ताजा रिपोर्ट बेहद चिंताजनक है। दावोस में विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) की वार्षिक बैठक के पहले दिन सोमवार को जारी ऑक्सफैम की वार्षिक असमानता रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया के पांच सबसे अमीर लोगों की संपत्ति 2020 के बाद से दोगुनी से अधिक अर्थात 405 अरब अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 869 अरब अमेरिकी डॉलर हो गई है, जबकि इसी अवधि में पांच अरब लोगों की संपत्ति में गिरावट आई है और गरीबों की संख्या बढ़ी है।

जाहिर है कि दुनियाभर में आर्थिक विकास का जो तंत्र अपनाया जा रहा है, वह कहीं न कहीं त्रुटिपूर्ण है, जिसमें सुधार करने की जरूरत है। दुनिया में समृद्धि बढ़े, यह खुशी की बात है लेकिन बहुत से लोगों के गरीब होने की कीमत पर अगर कुछ लोग समृद्ध हों तो यह चिंता की बात है। ऑक्सफैम की रिपोर्ट के अनुसार विश्व को जहां एक दशक में अपना पहला खरबपति मिल सकता है, वहीं अगर मौजूदा रुझान जारी रहते हैं तो दुनिया में व्याप्त गरीबी अगले 229 वर्षों में भी खत्म नहीं होगी।

चौंकाने वाली बात तो यह है कि जिस कोविड-19 ने दुनियाभर में अरबों लोगों को प्रभावित किया, करोड़ों लोगों की आजीविका के साधन को छीना, उसी कोरोना के दो साल में अरबपतियों ने इतनी कमाई की, जितना उन्होंने पिछले 23 साल में नहीं कमाया था। महामारी आने के बाद दुनिया में 573 अरबपति बढ़ गए यानी हर 30 घंटे में एक अरबपति बढ़ा और इन अरबपतियों की संपत्ति महामारी के दौर में 42 फीसदी यानी 293.16 लाख करोड़ रुपए बढ़ गई।

दुनिया के 3.1 अरब लोगों के पास कुल मिलाकर भी इतनी संपत्ति नहीं है, जितनी संपत्ति 10 सबसे अमीर लोगों के पास है। निश्चित रूप से इस आर्थिक असमानता को दूर करने के लिए कारगर प्रयास किए जाने की जरूरत है, जिसमें अत्यधिक अमीरों पर ज्यादा टैक्स लगाना भी एक उपाय हो सकता है।

गरीबी का स्वास्थ्य पर किस कदर असर पड़ता है, इसे इस तथ्य से समझा जा सकता है कि अमीर देशों में रहने वाले लोगों की औसत उम्र गरीब देशों में रहने वालों की तुलना में 16 साल ज्यादा है। साक्ष्य बताते हैं कि स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा और सामाजिक सुरक्षा पर किए जाने वाले खर्च से आय असमानता को कम कम  किए जाने में मदद मिलती है।

उदाहरण के लिए, यदि कोई सरकार मुफ्त और उच्च-गुणवत्ता वाली सार्वजनिक सेवाओं में निवेश करती है तो गरीब लोगों को उस पर खर्च नहीं करना पड़ता है, जिससे उनके पैसे बचते हैं। अमीरी-गरीबी की खाई जितनी ज्यादा बढ़ती है, उतना ही ज्यादा समाज में असंतोष बढ़ता है और कई तरह के अपराधों में भी वृद्धि होती है। इसलिए आय असमानता को कम से कम किया जाना बेहद जरूरी है।

टॅग्स :मुद्रास्फीतिइकॉनोमी
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