बजट के आंकड़ों से आम आदमी का कोई लेना-देना नहीं होता. उसकी उम्मीद केवल इतनी सी होती है कि बजट ऐसा हो जो उसकी बुनियादी जरूरतों को पूरा करे और जिंदगी को सुगम बनाए. पिछला साल बहुत कठिन रहा है. बजट ऐसा हो कि उसका अमृत आम आदमी तक पहुंचे. ...
नार्वे में कोई 33 हजार से ज्यादा लोगों को टीका लग चुका है लेकिन उनमें से 23 लोगों की जान चली गई जो 80 साल से ज्यादा की उम्र के थे. लेकिन, भारत में वैक्सीन दिए जाने के बाद कोई खास दुष्प्रभाव की खबर नहीं आई है। ...
यूएस कैपिटल ने करीब 200 साल बाद उपद्रव का ऐसा नजारा देखा. इतिहास बताता है कि अगस्त 1814 में ब्रिटेन ने अमेरिका पर हमला किया था और अमेरिकी सेना की हार के बाद ब्रिटेन के सैनिकों ने यूएस कैपिटल में आग लगा दी थी. उसके बाद से अमेरिकी संसद पर कभी हमला नहीं ...
जब भी नया साल आता है तो हम कई सारे संकल्प लेते हैं और उन्हें पूरा करने का प्रयास भी करते हैं. मौजूदा दौर में सरकार के साथ हमें यह सामूहिक संकल्प लेना चाहिए कि इस साल खुद का स्वास्थ्य तो सुधारेंगे ही, उद्योग-धंधे को भी स्वस्थ बनाएंगे ताकि देश तरक्की क ...
वर्ष 2020 अलविदा होने को है. शायद ही इसे कोई याद रखना चाहेगा लेकिन यह भी सच है कि वक्त के इतिहास में इस साल को भुला कर भी नहीं भुलाया जा सकता. इसने खौफ का ऐसा मंजर कायम किया, न जात-पांत, न धर्म और न ही हैसियत देखी. मनुष्य को एक संदेश भी दे गया कि तन ...
देश में जब जिंदगी पटरी पर लौट चुकी है और अमूमन सभी तरह के आयोजन हो रहे हैं तो यह सवाल पूछा जाना वाजिब है कि संसद का शीतकालीन सत्र बुलाने में क्या दिक्कत है? जब संकट गहरा है तो संसद सत्र की जरूरत और बढ़ जाती है. ...
पश्चिम बंगाल में राजनीति का जो चेहरा अभी दिखाई दे रहा है वह बहुत भयावह है. वहां लोकतंत्र नहीं बल्कि लाठियों की भाषा बोली जा रही है. वामपंथियों के जमाने में भी लाठियों की भाषा ही चलती थी लेकिन इस बार वहां का समाज भीषण सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की गिरफ्त ...