विजय दर्डा का ब्लॉग: हर सेक्टर के लिए हो 'हैप्पी हेल्थ ईयर'

By विजय दर्डा | Published: January 3, 2021 04:30 PM2021-01-03T16:30:22+5:302021-01-03T16:37:13+5:30

जब भी नया साल आता है तो हम कई सारे संकल्प लेते हैं और उन्हें पूरा करने का प्रयास भी करते हैं. मौजूदा दौर में सरकार के साथ हमें यह सामूहिक संकल्प लेना चाहिए कि इस साल खुद का स्वास्थ्य तो सुधारेंगे ही, उद्योग-धंधे को भी स्वस्थ बनाएंगे ताकि देश तरक्की की राह पर तेजी से आगे बढ़े.

Vijay Darda blog: Happy 'Health Year' for every sector | विजय दर्डा का ब्लॉग: हर सेक्टर के लिए हो 'हैप्पी हेल्थ ईयर'

कोरोना ने न केवल आम आदमी को भयभीत किया बल्कि उद्योग-धंधे का स्वास्थ्य भी चौपट कर दिया

सबसे पहले आप सभी को नए साल की असीम शुभकामनाएं और भविष्य की मंगलकामनाएं. जैसा कि मैंने पिछले कॉलम में लिखा था कि वर्ष 2020 चुनौतियों का साल था, हमारे धैर्य की परीक्षा का वर्ष था और उसमें हम काफी हद तक सफल भी साबित हुए लेकिन हमारे सामने चुनौतियां बहुत लंबी हैं. इतनी आसानी से कोरोना से पीछा नहीं छूटने वाला है! हर सेक्टर का स्वास्थ्य इतना खराब हो गया है कि उसे पूरी तरह स्वस्थ बनाने में लंबा वक्त भी लगेगा और सामूहिक तौर पर कड़ी मेहनत भी करनी होगी.

यह अच्छी बात है कि कोरोना का कहर अब कम होने लगा है लेकिन अभी भी वह हमारे बीच में न केवल मौजूद है बल्कि बहुरूपिए की तरह रूप बदलकर नए स्वरूप में सामने आ गया है. मैं उम्मीद कर रहा हूं कि उसका नया स्वरूप कोई विनाशकारी चेहरा दिखाए, इससे पहले वैक्सीन जन-जन तक पहुंच जाएगी. हमारे देश में वैक्सीन लगाने की तैयारियां शुरू हो गई हैं. इसकी सफलता में हमें कोई संदेह नहीं करना चाहिए क्योंकि दुनिया में वैक्सिनेशन का सबसे बड़ा अभियान चलाने का हमें तजुर्बा है और हमारे पास काफी हद तक संसाधन भी मौजूद हैं. इसलिए हम सबको उम्मीद करनी चाहिए कि वैक्सीन हम तक पहुंचने में अब ज्यादा देर नहीं है. मैं इसके लिए अपने उन तमाम वैज्ञानिकों, सरकारी अधिकारियों-कर्मचारियों और मेडिकल सेक्टर के लोगों को बधाई देना चाहूंगा और आभार व्यक्त करना चाहूंगा जिनकी बदौलत वैक्सीन तैयार हो पाई और लोगों तक पहुंचने वाली है.

खुद के स्वास्थ्य के प्रति लापरवाही कितनी महंगी पड़ सकती है?

हां, एक बात का जरूर ध्यान रखिएगा कि जिस तरह से कोरोना के साथ जंग में पिछले साल आपने धैर्य बनाए रखा उसी तरह का धैर्य अभी बनाए रखना है. जब तक कोरोना की कड़ी टूट नहीं जाती तब तक एक भी लापरवाही बड़ी महंगी पड़ जाएगी. धैर्य की बात मैं इसलिए भी कह रहा हूं क्योंकि नक्कालों और धोखाधड़ी करने वालों का समूह सक्रिय हो चुका है. एक आशंका तो यह है कि जैसे ही टीकाकरण शुरू होगा, नकली वैक्सीन भी बाजार में आ ही जाएगी. हमारे यहां नकली दवाइयों का बड़ा बाजार है इसलिए वे कोई अवसर खोएंगे नहीं. उनसे सावधान रहने की जरूरत है. इस अवसर का लाभ उठाने के लिए ठग भी मैदान में उतर चुके हैं. वे आपसे आधार नंबर और उसके बाद ओटीपी मांग कर आपके बैंक खातों में डाका डाल सकते हैं. इस बात को लेकर वित्तीय संस्थाओं ने आगाह करना शुरू भी कर दिया है. तो ऐसे ठगों और नक्कालों से जरूर सावधान रहिएगा!

सावधानी बनाए रखना तो निजी स्वास्थ्य को लेकर भी बहुत जरूरी है. पिछले साल हमने बहुत से लोगों को कोरोना के कारण बिछड़ते देखा है. नए साल में ऐसा कुछ न हो इसलिए यह बहुत जरूरी है कि हम सब एक दूसरे का भी खयाल रखें और खुद के स्वास्थ्य पर भी ध्यान दें. इस कोरोना ने हमें सिखाया है कि खुद के स्वास्थ्य के प्रति लापरवाही कितनी महंगी पड़ सकती है. इसलिए अपने स्वास्थ्यप्रद खान-पान पर जरूर ध्यान दीजिए ताकि आप किसी भी वायरस से लड़ने में सक्षम रह सकें. वर्जिश और योग के साथ परंपरागत घरेलू नुस्खे भी बड़े काम के साबित हुए हैं. आपका शरीर जितना सक्रिय रहेगा, इम्यून सिस्टम भी उतना ही मजबूत होगा.

भारत की अर्थव्यवस्था सप्लाई और डिमांड पर आधारित है

और जहां तक देश के इम्यून सिस्टम का सवाल है तो उसके लिए हमारे उद्योग-धंधों का फिर से पनपना न केवल जरूरी है बल्कि नए तरीके से उनका विकसित होना भी जरूरी है ताकि भविष्य में यदि कोई गहरा संकट आए तो हम उससे निपटने में सक्षम साबित हो सकें. हालांकि ऑक्सफोर्ड इकोनॉमिक्स की ग्लोबल रिपोर्ट हमें डरा रही है क्योंकि उसमें कहा गया है कि  2025 तक भारत की पर-कैपिटा जीडीपी कोरोना काल से पहले के मुकाबले 12 प्रतिशत तक कम रह सकती है. चूंकि हमारा आकार बड़ा है इसलिए हमारे लिए नुकसान का आकार भी बड़ा होगा. लेकिन मुझे लगता है कि ऐसी रिपोर्ट से डरने की जरूरत नहीं है. हम भारतीयों में यह नैसर्गिक ताकत है कि कठिनाइयों के वक्त हम ज्यादा ताकत से उभर कर सामने आते हैं. यदि हम तय कर लें कि उद्योग-धंधों को तेजी से विकसित करेंगे तो जीडीपी को निश्चय ही तेजी से सुधार सकते हैं.

सरकार ने हालांकि उद्योग-धंधों के लिए मदद की कई घोषणाएं की हैं और उसका असर भी दिख रहा है लेकिन ध्यान देने वाली बात है  कि भारत की अर्थव्यवस्था सप्लाई और डिमांड पर आधारित है. जब तक  डिमांड धीमी रहेगी तब तक स्थिति में ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा. जरूरत इस बात की है कि डिमांड बढ़ाने के लिए आम आदमी की जेब में पैसा डाला जाए. इसके अलावा निर्माण क्षेत्र में लगने वाली सामग्री की कीमतें कम करनी होंगी ताकि इसमें बूम आए और लोगों को रोजगार मिल सके. कोरोना काल में बंदी से उबर कर जो उद्योग-धंधे, खासकर एमएसएमई शुरू हुए हैं उनके स्वास्थ्य पर ध्यान देना बहुत जरूरी है. जो मदद मिली है वह काफी नहीं है. जब तक उद्योग-धंधों का स्वास्थ्य नहीं सुधरेगा तब तक हम देश के बेहतर स्वास्थ्य की कल्पना नहीं कर सकते. तो 2021 में एक दूसरे से कहिए- हैप्पी हेल्थ ईयर.

Web Title: Vijay Darda blog: Happy 'Health Year' for every sector

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