विजय दर्डा का ब्लॉग: कोविड-19 वैक्सीन को लेकर कोई भ्रम नहीं रहना चाहिए

By विजय दर्डा | Published: January 17, 2021 04:31 PM2021-01-17T16:31:27+5:302021-01-17T16:34:52+5:30

नार्वे में कोई 33 हजार से ज्यादा लोगों को टीका लग चुका है लेकिन उनमें से 23 लोगों की जान चली गई जो 80 साल से ज्यादा की उम्र के थे. लेकिन, भारत में वैक्सीन दिए जाने के बाद कोई खास दुष्प्रभाव की खबर नहीं आई है।

Vijay Darda's blog: There should be no confusion about the Kovid-19 vaccine. | विजय दर्डा का ब्लॉग: कोविड-19 वैक्सीन को लेकर कोई भ्रम नहीं रहना चाहिए

कोरोना वायरस वैक्सीन (सांकेतिक फोटो)

कोरोना वायरस से बचाव करने वाली जिस वैक्सीन का इंतजार कई महीनों से किया जा रहा था, उसने दस्तक दे दी है. दो दिनों में करीब साढ़े तीन लाख चिकित्सकों, स्वास्थ्यकर्मियों और कोरोना वारियर्स को भारत में बने टीके लगाए गए.

सामान्य तौर पर कोई खास दुष्प्रभाव की खबर नहीं आई है लेकिन नार्वे से आ रही खबर ने सबको चिंतित कर दिया है. वहां फाइजर का टीका लगाया जा रहा है. कोई 33 हजार से ज्यादा लोगों को टीका लग चुका है लेकिन उनमें से 23 लोगों की जान चली गई जो 80 साल से ज्यादा की उम्र के थे.

ये सभी लोग पहले से ज्यादा कमजोर थे और ज्यादातर नर्सिग होम में रहते थे. हालांकि अभी यह सत्यापित नहीं हो पाया है कि क्या उनकी जान टीके के साइड इफेक्ट की वजह से ही गई है? इस मामले में नार्वे सरकार ने जांच के आदेश दे दिए हैं.

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फाइजर ने भारत में भी अनुमति मांगी थी, जिसका प्रभाव 98 प्रतिशत तक बताया जा रहा है लेकिन फिलहाल भारत ने अनुमति नहीं दी है क्योंकि इसको लेकर संभवत: सौदा जमा नहीं. इसके अलावा मॉडर्ना की वैक्सीन करीब 95 प्रतिशत, रूस की वैक्सीन 90 प्रतिशत और चीन की वैक्सीन का प्रभाव करीब 50 प्रतिशत के आसपास बताया जा रहा है.

रूस और चीन दावा तो इससे बहुत ज्यादा कर रहे हैं लेकिन उनका दावा पुख्ता नहीं है. हालांकि भारत में इनके उपयोग की कोई संभावना नहीं है क्योंकि यहां देश में निर्मित टीका मौजूद है. इसमें कोवैक्सीन पूरी तरह से स्वदेशी टीका है जिसे भारत बायोटेक ने बनाया है.

इसका पुराना रिकार्ड बहुत अच्छा है. दूसरी वैक्सीन है कोविशील्ड जो ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका का भारतीय संस्करण है और सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया इसका उत्पादन कर रहा है. भारतीय कंपनियों पर शंका का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता क्योंकि टीकाकरण के मामले में भारत दुनिया में सर्वोच्च स्थान पर है.

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अपने बलबूते हमने कई बीमारियों को काबू में किया है और दुनिया को भी लाभ पहुंचाया है. आपको जानकर खुशी होगी कि  दुनियाभर की 60 प्रतिशत वैक्सीन का उत्पादन भारत में होता है. सबसे बड़ा टीकाकरण कार्यक्रम भारत में चलता है. यहां हर साल साढ़े पांच करोड़ महिलाओं और बच्चों को 39 करोड़ वैक्सीन दिए जाते हैं.

इसलिए मुझे लगता है कि भारत में टीकाकरण अभियान पूरी तरह सफल होगा. मैं उन वैज्ञानिकों को बधाई देना चाहता हूं जिन्होंने दिन-रात एक करके कोरोना की वैक्सीन तैयार कर ली. इन वैज्ञानिकों ने वास्तव में भारत का नाम रौशन किया है. मैं उन स्वयंसेवकों के हौसले और जज्बे की तारीफ करता हूं जिन्होंने मानवता की सेवा के लिए खुद के स्वास्थ्य को दरकिनार करते हुए पहले, दूसरे और तीसरे चरण के परीक्षण में भाग लिया.

तीसरा चरण अभी चल रहा है और उम्मीद है कि फरवरी में उसके भी आंकड़े सामने आ जाएंगे. पहले और दूसरे चरण में कोई बड़ा दुष्परिणाम सामने नहीं आया इसलिए ही ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया डॉ. वी.जी. सोमानी ने वैक्सीन की आपातकालीन अनुमति दी.

कुछ स्वर ऐसे उभरे हैं कि क्या परीक्षण का तीसरा चरण पूरा किए बगैर वैक्सीन के उपयोग की अनुमति देना उचित था? इस सवाल का जवाब विशेषज्ञ दे चुके हैं और टीके को पूरी तरह सुरक्षित बता दिया है. इस बीच देश के 49 वैज्ञानिकों और चिकित्सकों ने एक खुला पत्र लिखकर लोगों से कहा है कि किसी भ्रम में न पड़ें.

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भारत में जिन दो टीकों कोवैक्सीन और कोविशील्ड को अनुमति मिली है वह पूरी तरह सुरक्षित है. हमें वैज्ञानिकों की बात पर भरोसा करना चाहिए. वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन ने भी भारत के टीकाकरण अभियान की सराहना की है. मेरा यह मानना है कि जिज्ञासा ज्ञान की जननी है.

इसलिए यदि कोई सवाल उठता है तो उसका जवाब तत्काल प्रामाणिक तौर पर उपलब्ध हो जाना चाहिए ताकि आम आदमी के बीच किसी तरह का भ्रम रहे ही नहीं. कोरोना के खिलाफ टीकाकरण तभी सफल हो सकता है जब किसी के मन में टीके को लेकर कोई भ्रम न  रहे.  

यह तो हुई टीके की बात लेकिन इसी से जुड़ा हुआ एक बड़ा सवाल है कि क्या केवल टीकाकरण से हम कोरोना को पूरी तरह खत्म कर पाएंगे? विशेषज्ञ स्पष्ट कह रहे हैं वैक्सीन इसमें मददगार तो है लेकिन कोरोना को यदि समाप्त करना है तो हमें अभी कुछ और महीनों तक अपने बचाव पर ज्यादा ध्यान देना होगा.

तभी हम कोरोना की चेन को तोड़ पाएंगे. जब तक इसकी चेन पूरी तरह खत्म नहीं होगी तब तक कोरोना खत्म नहीं होगा. दुर्भाग्य की बात है कि बचाव के मामले में भारत जरा पिछड़ रहा है. जो सजग लोग हैं वे तो पूरे समय मास्क लगाते हैं, हाथ भी धोते हैं, अपने साथ सैनेटाइजर भी रखते हैं और हमेशा उपयोग भी करते हैं लेकिन ज्यादातर लोग अभी भी लापरवाह बने हुए हैं.

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सरकार दिशा-निर्देश जारी कर सकती है. लोगों को बता सकती है कि क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए लेकिन बचाव के रास्ते पर तो लोगों को खुद ही चलना होगा! मुझे यह देखकर दुख होता है कि अभी भी बहुत से लोग मुंह और नाक पर मास्क लगाने के बजाय उसे ठुड्डी पर लगाए रहते हैं.

ऐसा करने से कैसे बचाव होगा? आपको जानकर आश्चर्य होगा कि महाराष्ट्र में मास्क नहीं पहनने के जुर्म में लोग पांच करोड़ रुपए से भी ज्यादा जुर्माना भर चुके हैं लेकिन सुधरने का नाम नहीं ले रहे हैं! ऐसी स्थिति में कोरोना की चेन कैसे टूटेगी? ..तो आप सबसे गुजारिश यही है कि अपना खयाल खुद रखिए. बिना मास्क के घर से बाहर मत निकलिए. सफाई का खासतौर पर खयाल रखिए.
कोरोना के खिलाफ ये संघर्ष जरा लंबा है.

Web Title: Vijay Darda's blog: There should be no confusion about the Kovid-19 vaccine.

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