एक दृढ़ मानसिकता, पूरी प्रतिबद्धता और कानूनी चतुराई दिखाते हुए मोदी सरकार ने संविधान में पहले से मौजूद प्रावधानों का इस्तेमाल करते हुए बगैर कुछ किए संविधान के अनुच्छेद 370 को मात्न राष्ट्रपति के एक आदेश से ही निष्प्रभ कर दिया. ...
संविधान निर्माताओं ने न्यायपालिका, खासकर, सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के जजों को नैतिकता की प्रतिमूर्ति मानते हुए उन्हें पद पर रहने के दौरान हर संवैधानिक सुरक्षा कवच से नवाजा था और उन्हें पद से हटाना एक जटिलतम प्रक्रिया के तहत लगभग नामुमकिन कर दिया था. ...
कानून को हाथ में लेने वाली भीड़ को यह मालूम था इस (कु)कृत्य की कोई सजा नहीं होती अगर नेताजी साथ हैं या ऐसा कह कर सिस्टम को (जिसमें कानून प्रक्रिया भी है) डराया जा सकता है अर्थात ऐसा भरोसा कि कानून व्यवस्था को एक नेता पंगु बना सकता है. ...
आतंकवाद की प्रकृति, बदलते आयाम के मद्देनजर एनआईए को और शक्ति देना एक जरूरी कदम है. यह अलग बात है कि महज कानून बनाने से अगर दुनिया की इतनी बड़ी समस्या पर काबू हो सकता तो करीब 45 देश जो इस दंश को ङोल रहे हैं, कब से मुक्ति पा चुके होते. ...
आर्थिक पैरामीटर्स पर गरीबी मापने की एक गलत अवधारणा से देश के करोड़ों लोग गरीबी की त्नासदी झेलते हुए भी उस श्रेणी में मिलने वाली सहायता से वंचित रहे हैं. ...
ऑक्सफैम सहित विश्व की तमाम मकबूल सर्वेक्षण संस्थाएं भारत में लगातार बढ़ती आर्थिक असमानता की ओर इंगित कर रही हैं. भारत आज से 29 साल पहले दुनिया में जीडीपी के पायदान पर 35वें स्थान पर था आज छठवें पर है. ...
भारत अपने समुन्नत प्रजातंत्न और संस्कृति के लिए जाना जाता है. लिहाजा प्रजातंत्न के इस नए फॉर्मेट पर दुनिया के राजनीति-शास्त्न के लोग अभी विश्लेषण करेंगे कि भारत ने दुनिया को अंकगणित, बीजगणित, खगोल-शास्त्न, संस्कृत जैसी भाषा और गीता जैसे आध्यात्मिक ग ...
केंद्र और राज्यों की सरकारों का स्वास्थ्य को लेकर सम्मिलित खर्च दुनिया में सबसे कम है. यहां तक कि जो दुनिया में सबसे गरीब देश हैं उनसे भी कम. तुर्रा ये कि बिहार देश में स्वास्थ्य पर सबसे कम खर्च करने वाला राज्य है जो राष्ट्रीय औसत का भी एक-तिहाई खर्च ...