नीतीश कुमार के खिलाफ एंटी-इनकम्बेंसी (सरकार विरोधी भावनाएं) का जो माहौल था, वह मुख्य रूप से बिहार की मजबूत जातियों द्वारा खड़ा किया गया था. इस माहौल के मुख्य स्वर शक्तिशाली और बहुसंख्यक यादव जाति (जो महागठबंधन की पैरोकार है) और ऊंची जातियों (जो भाजप ...
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रम्प हार गए हैं. हालांकि वे हार मानने से इनकार करते रहे हैं. अमेरिका में हारने वाले की दावेदारी आसानी से खत्म नहीं होती. ...
बिहार चुनावः नीतीश का यह कार्यकाल थका हुआ जरूर साबित हुआ, लेकिन उसके विरोध में नाराजगी को मुख्य तौर पर ताकतवर पिछड़ी जातियों (जैसे यादव), ताकतवर दलित जातियों (जैसे दुसाध) और ऊंची जातियों (ब्राहाण, ठाकुर, वैश्य, कायस्थ और भूमिहार) ने हवा दी है. ...
‘सुशासन’ करने वाला नेता बार-बार अपनी प्रशासनिक कुशलता के कारण जीतता रहता है. आर्थिक समृद्धि की दौड़ में बिहार के पिछड़ेपन की हकीकत से शायद ही कोई असहमत हो, लेकिन इसके बावजूद पिछले पंद्रह साल से एक ऐसा नेता चुनाव जीत रहा है जिसकी छवि ‘सुशासन बाबू’ की ...
रामविलास पासवान को उनके दो त्यागपत्रों के लिए भी याद किया जाएगा. पहली बार उन्होंने सत्तर के दशक में जयप्रकाश नारायण की अपील पर बिहार विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दिया था. दूसरी बार उन्होंने गुजरात में हुए मुसलमान विरोधी नरसंहार का विरोध करते हुए अट ...
शिवसेना और भाजपा के संबंधों का आलम तो यह था कि दोनों की तरफ से विचारधारात्मक दोस्ती की कसमें खाई जाती थीं. दोनों का उभार एक-दूसरे का साथ निभाने की प्रक्रिया में ही हुआ है. इसके बावजूद आज दोनों एक-दूसरे के खिलाफ खड़ी हैं. ...
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार भारत में कोरोना से एक लाख से अधिक लोगों की मौत अब तक हो चुकी है. सवाल उठ रहा है कि कहीं इस तरह के आंकड़ों के जरिये एक भयावह चित्र तो नहीं पेश किया जा रहा है. ...
बीजेपी के पिछले कुछ सालों के ट्रैक रिकॉर्ड से पता चलता है कि पार्टी कई राज्यों में अकेले दम पर दांव आजमाने के लिए तैयार है। राजग का बिखराव हो रहा है लेकिन सवाल है कि क्या भाजपा स्वयं भी ऐसा चाहती है? ...