India-Canada Conflict: कनाडा ने एक बार फिर भारत के खिलाफ जहर उगलने का काम किया है। कनाडा ने भारत पर नए आरोप लगाते हुए उसे अपने देश का दुश्मन करार दिया है। कनाडा की जस्टिन ट्रूडो सरकार ने भारत को "साइबर विरोधी" घोषित किया है और इसे साइबर सुरक्षा में शत्रुतापूर्ण देशों की सूची में शामिल किया है। इस चौंकाने वाले आरोप पर भारत ने बिना समय गवाए करारा जवाब दिया है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने इसकी कड़ी निंदा की और इसे अपनी अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा को धूमिल करने का प्रयास बताया।
ट्रूडो के दावे पर प्रतिक्रिया देते हुए, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, "हम इसे भारत पर हमला करने और उसे बदनाम करने की कनाडा की एक और रणनीति के रूप में देखते हैं। उनके वरिष्ठ अधिकारियों ने खुले तौर पर कबूल किया है कि कनाडा भारत के खिलाफ वैश्विक राय को प्रभावित करने की कोशिश कर रहा है। अन्य अवसरों की तरह, बिना किसी सबूत के बार-बार आरोप लगाए जा रहे हैं।"
कनाडा ने क्या आरोप लगाए?
गौरतलब है कि कनाडा सरकार ने हाल ही में एक सर्वेक्षण 'राष्ट्रीय साइबर खतरा आकलन 2025-2026' जारी किया, जिसमें भारत को "साइबर विरोधी" बताया गया। रिपोर्ट में कहा गया, "भारत का नेतृत्व लगभग निश्चित रूप से घरेलू साइबर क्षमताओं के साथ एक आधुनिक साइबर कार्यक्रम बनाने की आकांक्षा रखता है। भारत अपने साइबर कार्यक्रम का उपयोग अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा आवश्यकताओं को आगे बढ़ाने के लिए करता है, जिसमें जासूसी, आतंकवाद-रोधी और भारत और भारतीय सरकार के खिलाफ अपनी वैश्विक स्थिति और प्रति-कथाओं को बढ़ावा देने के देश के प्रयास शामिल हैं। हमारा आकलन है कि भारत का साइबर कार्यक्रम अपने संचालन को बढ़ाने के लिए वाणिज्यिक साइबर विक्रेताओं का लाभ उठाता है।”
इसमें कहा, "हमारा आकलन है कि भारत सरकार द्वारा प्रायोजित साइबर खतरा पैदा करने वाले लोग जासूसी के उद्देश्य से कनाडा सरकार के नेटवर्क के खिलाफ साइबर खतरा गतिविधि संचालित करते हैं। हमारा अनुमान है कि कनाडा और भारत के बीच आधिकारिक द्विपक्षीय संबंध कनाडा के खिलाफ भारत सरकार द्वारा प्रायोजित साइबर खतरा गतिविधि को बढ़ावा देंगे।"
इसमें यह भी कहा गया है, "वैश्विक प्रणाली के भीतर शक्ति के नए केंद्र बनने की आकांक्षा रखने वाले देश, जैसे कि भारत, ऐसे साइबर कार्यक्रम बना रहे हैं जो कनाडा के लिए अलग-अलग स्तर के खतरे पेश करते हैं।" भारत यह कहता रहा है कि दोनों देशों के बीच मुख्य मुद्दा यह है कि कनाडा कनाडा की धरती से संचालित खालिस्तान समर्थक तत्वों को बेखौफ जगह दे रहा है।
भारत ने पिछले महीने ओटावा के आरोपों को दृढ़ता से खारिज करने के बाद छह कनाडाई राजनयिकों को निष्कासित कर दिया और अपने उच्चायुक्त संजय वर्मा और अन्य "लक्षित" अधिकारियों को कनाडा से वापस बुला लिया।