नई दिल्ली: मध्य एशिया और हिंद महासागर में चीन द्वारा अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिशें तेज हो गई हैं। अभी चीन द्वारा श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह पर खोजी जहाज भेजे जाने का मामला शांत भी नहीं हुआ था कि इसी बीच एक ऐसी रिपोर्ट आई है जो भारता की चिंता बढ़ा सकती है। खबर है कि अपनी बेहद महत्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड पहल की रक्षा के लिए चीन संघर्ष ग्रस्त पाकिस्तान-अफगानिस्तान क्षेत्र में विशेष रूप से बनाई गई चौकियों में अपने सैनिकों को तैनात करके अपने हितों की रक्षा करने की योजना बना रहा है।
पाकिस्तान में चीन ने 60 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक का निवेश किया हुआ है। पाकिस्तान न केवल वित्तीय बल्कि सैन्य और राजनयिक समर्थन के लिए भी चीन पर निर्भर है। ऐसे में चीन ने चीन ने पाकिस्तान पर उन चौकियों के निर्माण की अनुमति देने का दबाव बनाना शुरू कर दिया है जहां वह अपने सशस्त्र कर्मियों को तैनात करेगा। चीन, पाकिस्तान-अफगानिस्तान से होकर गुजरने वाले मार्ग के माध्यम से मध्य एशिया में अपने प्रभाव का विस्तार करने का इच्छुक है और इसिलिए उसने दोनों देशों में रणनीतिक निवेश किया है।
राजनयिक और सुरक्षा मामलो के विशेषज्ञों का मानना है कि चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी अफगानिस्तान और पाकिस्तान में सैन्य चौकियों को स्थापित करने के लिए युद्ध के पैमाने पर काम कर रही है। खबर है कि चीनी राजदूत नोंग रोंग ने इस संबंध में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ, विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो और सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा के साथ बैठकें की हैं। बताया जा रहा है कि राजदूत रोंग विशेष रूप से इसी काम के लिए पाकिस्तान भेजे गए हैं।
चीन पहले ही पाकिस्तान के ग्वादर में सुरक्षा चौकियों की मांग कर चुका है और अपने लड़ाकू विमानों के लिए ग्वादर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का उपयोग करने की अनुमति मांग चुका है। संघर्ष ग्रस्त पाकिस्तान-अफगानिस्तान क्षेत्र में चीनी चौकियों की बाड़ाबंदी भी शुरू हो गई है। यहां सैन्य उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल की जा सकने वाली सुविधा जल्द ही चालू होने वाली है। हालांकि चीन और पाकिस्तान के सामने एक चुनौती भी है क्योंकि पाकिस्तान-अफगानिस्तान सीमा पर रहने वाले लोग इस क्षेत्र में भारी चीनी सैन्य उपस्थिति के साथ सहज नहीं हैं।
अगर चीन पाक-अफगान क्षेत्र में अपनी सैन्य चौकियां स्थापित करने में कामयाब होता है तो यह भारत के लिए एक बड़ी चिंता की बात हो सकती है। चीन पहले ही अपनी 'मोतियों की माला योजना' के तहत भारत को घेर रहा है। भारत कभी नहीं चाहेगा कि चीनी सैनिक उसकी सीमा के चारो तरफ मौजूद हों। भारत पहले ही वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीनी की आक्रामकता से जूझ रहा है।