असम के नागरिकों की राष्ट्रीय नागरिक पंजिका (एनसीआर) को सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में साल 2014 से 2016 के बीच अपडेट किया गया। नई लिस्ट में 1951 की जनगणना में शामिल असम के नागरिकों और 24 मार्च 1971 तक किसी भी मतदान सूची में शामिल मतदाताओं के नाम शामिल किये गये। सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में इस पंजिका का पहला मसविदा जनवरी 2018 में प्रकाशित हुआ था। उस समय 3.29 करोड़ प्रार्थियों में से केवल 1.90 करोड़ प्रार्थी ही इसमें शामिल किए जा गये थे। 30 जुलाई 2018 को एनआरसी का दूसरा मसविदा जारी हुआ। एनसीआर के दूसरे मसविदे में करीब 40 लाख लोगों के नाम नहीं है। विवाद होने के बाद केंद्र सरकार ने कहा है कि जिन लोगों का नाम छूट गये हैं वो इसके खिलाफ अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं। Read More
भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आजाद को CAA-NRC-NPR के खिलाफ मुंबई के आजाद मैदान में रैली करने की अनुमति नहीं मिली है। वह 21 फरवरी को रैली करना चाहते थे। ...
डीसीपी साउथ ईस्ट आरपी मीणा ने कहा कि शाहीन बाग के प्रदर्शनकारी गृह मंत्री से मिलने के लिए मार्च करना चाहते थे लेकिन उनके पास अनुमति नहीं थी। हम उन्हें समझाने की कोशिश कर रहे हैं। प्रदर्शनकारियों को लिखे पत्र में नयी दिल्ली जिला पुलिस ने कहा कि मार्च ...
सिंह ने यहां मीडिया से चर्चा करते हुए कहा, ‘‘मै बधाई देता हूं कि शाहीन बाग में प्रदर्शन करने वालों की मांग पर माननीय गृह मंत्री अमित शाह जी ने उनके (प्रदर्शनकारियों) साथ चर्चा करने का निर्णय लिया है।’’ ...
राजस्थान के CM अशोक गहलोत ने कहा कि यदि सीएए के बाद देश में एनआरसी लागू होता है तो सबसे पहले उन्हें ही डिटेंशन सेंटर जाना होगा। उन्होंने इसके साथ ही नरेंद्र मोदी सरकार से इस कानून को वापस लेने की अपील की। ...
समाचार एजेंसी एएनआई द्वारा ट्वीट किए गए एक वीडियो के मुताबिक, भारी संख्या में प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच हाथापाई होती दिखाई दे रही है। वाकया शुक्रवार रात का है। चेन्नई के वॉशरमेनपेट में लोग सीएए और एनआरसी के खिलाफ प्रदर्शन करने के लिए जमा हुए थे ...
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) परिसर में चिदंबरम ने कहा कि असम में एनआरसी के बाद 19 लाख लोगों का नाम राष्ट्रीय नागरिक पंजी से बाहर रहने के बाद सरकार सीएए लेकर आई ताकि इनमें से 12 लाख हिंदुओं को नागरिकता दी जाए। ...
शाहीन बाग में एक प्रदर्शनकारी तासीर अहमद ने कहा, ‘‘चाहें, प्रधानमंत्री मोदी या गृहमंत्री अमित शाह आएं या कोई और, वे आ सकते हैं और हमसे बात करें। अगर वह हमें समझा देंगे कि जो भी हो रहा है वो संविधान के खिलाफ नहीं है तो हम अपना यह प्रदर्शन खत्म कर लेंग ...
ध्यान रहे कि भारतीय समाज दस्तावेज-कुशल नहीं है. पिछली दो पीढ़ियों से पहले के लोगों के पास उनके जन्म-प्रमाणपत्र नहीं हैं. जिन क्षेत्रों में नियमित रूप से प्राकृतिक आपदाएं आती हैं, वहां भी लोगों के पास दस्तावेज नहीं होते हैं. खास बात यह है कि सरकार को इ ...