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Hindu Nav Varsh 2024: हिन्दू नववर्ष आज से हुआ शुरू, चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन ही ब्रह्मा जी ने रची सृष्टि

By रुस्तम राणा | Published: April 09, 2024 3:17 PM

Hindu Nav Varsh 2024: आज चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से हिन्दू नववर्ष की शुरूआत हो गई है। इसे नव संवंत्सर भी कहा जाता है। पौराणिक मान्यता है कि आज ही के दिन सृष्टि के रयचिता भगवान ब्रह्मा जी ने सृष्टि का निर्माण किया था।

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Hindu Nav Varsh 2024:  हिन्दू नव वर्ष की शुरुआत 9 अप्रैल, मंगलवार से हो चुकी है। आज से ही शक्ति की उपासना का पर्व चैत्र नवरात्रि व्रत भी प्रारंभ हुए हैं। हिन्दू धर्म में चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि का बड़ा महत्व माना जाता है। माना जाता है कि इसी दिन ब्रह्माजी ने सृष्टि का निर्माण किया था। उन्होंने इस प्रतिपदा तिथि को 'प्रवरा' अथवा 'सर्वोत्तम' तिथि कहा था। यही वजह है कि इसे सृष्टि का प्रथम दिन कहा जाता है।

वातावरण में मिलते हैं नए जीवन के संकेत

इस दिन ब्रह्माजी सहित उनके द्वारा निर्मित सृष्टि के समस्त तत्वों का पूजन भी किया जाता है। चैत्र के महीने में प्रकृति में नवीनता का संचार होता है। नए जीवन के संकेत चारों ओर से मिलते हैं। शुक्ल प्रतिपदा को चंद्रमा की कला का प्रथम दिन माना जाता है और चूंकि वनस्पतियों को सोमरस चंद्रमा ही प्रदान करता है तो इसलिए इस दिन को वर्षारंभ माना जाता है।

महाराष्ट्र में मनाया जाता है गुड़ी पड़वा

आज के महाराष्ट्रीयन परिवारों में गुड़ी पड़वा एक विशेष अवसर होता है। इस दिन घर के बाहर गुड़ी स्थापित की जाती है। माना जाता है कि इस पर सूर्य की पहली किरण पड़ती है और पूरे वर्ष के लिए ऊर्जा प्रदान करती है। यह ऊर्जा पाने का प्रसंग है। खुद को प्रेरित करने का। इस दिन को विवाह, गृह प्रवेश, नए व्यापार और किसी भी तरह उद्घाटन के लिए शुभ माना जाता है। इस दिन कुछ लोग सोना, चांदी या संपत्ति खरीदी जाती है।

इस वर्ष का राजा मंगल

हिंदू नववर्ष में हर साल एक ग्रह को राजा निर्धारित किया जाता है। यह राजा हिंदू नववर्ष के वार से तय होता है। यानी चैत्र शुक्ल प्रतिपदा पर जो वार पड़ता है, उसे ही वर्ष का राजा माना जाता है। इस नए संवत्सर 2081 की शुरुआत मंगलवार से हो रही है, इसलिए मंगल ग्रह ही इस वर्ष का राजा होगा। जबकि शनि देव इसके मंत्री होंगे।

इस प्रकार से मनाएं हिन्दू नव वर्ष 

हिंदू नववर्ष के प्रथम दिन अपने घर के मुख्य द्वार पर वंदनवार लगाएं। अपने इष्ट देव या देवी की विधिवत आराधना करें। हाथ में गंध, अक्षत, पुष्प और जल लेकर नवसंवत की पूजा करें। नवसंवत के दिन नीम के कोमल पत्तियों और ऋतुकाल के पुष्पों का चूर्ण बनाएं। इस दिन घर में सात्विक और खुशहाल माहौल बनाकर रखें। 

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