Chaitra Navratri 2024:चैत्र नवरात्रि का समापन 17 अप्रैल, रामनवमी के दिन समाप्त होगा। लेकिन बिना कन्या पूजन के नवरात्रि व्रत अमान्य है। इसलिए नवरात्रि में कन्या पूजन करके ही व्रत पारण करने की परंपरा है। कन्या पूजन महाष्टमी अथवा महानवमी के दिन किया जाता है। इस परंपरा के अतंगर्त 10 साल के कम उम्री की कन्याओं को घर बुलाकर भोजन करवाया जाता है और उन्हें कुछ न कुछ उपहार भी दिए जाते हैं। मान्यता है कि 10 साल से कम उम्र की कन्याएं साक्षात देवी का स्वरूप होती हैं। आइए जानते हैं चैत्र नवरात्रि में कन्या पूजन कब और कैसे करें।
चैत्र नवरात्रि 2024 में कब करें कन्या पूजन?
चैत्र नवरात्रि में कन्या पूजन के लिए सबसे श्रेष्ठ तिथि महाष्टमी और महानवमी होती है। इस बार चैत्र नवरात्रि की अष्टमी तिथि 16 अप्रैल, मंगलवार को और नवमी तिथि 17 अप्रैल, बुधवार को है। इन दोनों दिन में से कभी भी कन्या पूजन किया जा सकता है।
कन्या पूजन से पहले करें ये सामग्री एकत्र
स्वच्छ जल, साफ कपड़ा, कलावा, चावल, फूल, चुनरी, फल, मिठाई, भोजन सामग्री, हलवा पूड़ी और चना का प्रसाद, उपहार, आरती की थाल
कन्या पूजन की संपूर्ण विधि
1. महाष्टमी के दिन स्नानआदि करके भगवान गणेश और महागौरी की पूजा करें।2. कन्या पूजन के लिए 9 कन्याओं को और एक कंजक को आमंत्रित करें।3. इसके बाद सभी कन्याओं का स्वच्छ जल से हाथ-पैर धुलाएं और साफ कपड़े से पोछें।4. उनके माथे पर कुमकुम और अक्षत का टीका लगाएं।5. इसके बाद कन्याओं के हाथ में मौली या कलावा बाधें।6. एक थाली में घी का दीपक जलाएं और सभी कन्याओं की आरती उतारें।7. आरती करने के बाद सभी कन्याओं को भोग लगाएं और खाने में पूड़ी, चना और हलवा जरूर खिलाएं।8. भोजन के बात अपनी सामर्थ अनुसार उन्हें भेंट दें।9. आखिरी में कन्याओं का पैर छूकर उनसे आशीर्वाद जरूर लें और उन्हें विदा करें।
नवरात्रि में कन्या पूजन का महत्व
चैत्र नवरात्रि में कन्या पूजन का विशेष महत्व है। मान्यता है कि, नवरात्रि में उपवास रखने के बाद कन्या पूजन करने से माता रानी प्रसन्न होती है। ये नौ कन्याएं मां दुर्गा के नौ रूपों का प्रतीक होती हैं। जबकि कंजक भैरवनाथ का प्रतीक होता है। कन्या पूजन से आपको सुख-समृद्धि, धन-संपदा का आशीर्वाद मिलता है। साथ ही कन्या पूजन करने से कुंडली में नौ ग्रहों की स्थिति मजबूत होती है।