'बुलाती है मगर जाने का नहीं' राहत इंदौरी की जयंती पर पढ़ें उनके मशहूर शेर By हर्ष वर्धन मिश्रा | Published: January 01, 2023 1:49 PMOpen in App1 / 8जाने-माने शायर और कवि राहत इंदौर की आज जयंती है। उनका जन्म 1 जनवरी 1950 को इंदौर में हुआ था। अपनी शायरी के लिए राहत साहब युवाओं में काफी लोकप्रिय रहे। उनके शेर 'बुलाती है मगर जाने का नहीं' सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ। 2 / 8अड़े थे जिद पे के सूरज बनाके छोड़ेंगे, पसीने छूट गए एक दीया बनाने में, मेरी निगाह में वो शख्स आदमी भी नहीं, जिसे लगा है जमाना खुदा बनाने में3 / 8इससे पहले की हवा शोर मचाने लग जाए, मेरे अल्लाह मेरी खाक ठिकाने लग जाए, घेरे रहते हैं कई ख्वाब मेरी आंखों को, काश कुछ देर मुझे नींद भी आने लग जाए4 / 8विश्वास बन के लोग ज़िन्दगी में आते है, ख्वाब बन के आँखों में समा जाते है, पहले यकीन दिलाते है की वो हमारे है, फिर न जाने क्यों बदल जाते है5 / 8लोग हर मोड़ पे रुक-रुक के सँभलते क्यूँ हैं, इतना डरते हैं तो फिर घर से निकलते क्यूँ हैं6 / 8अपना आवारा सर पटकने को, तेरी देहली देख लेता हूं, और फिर कुछ दिखाए दे या न दे, काम की चीज देख लेता हूं 7 / 8प्यार के उजाले में गम का अँधेरा क्यों है, जिसको हम चाहे वही रुलाता क्यों है, मेरे रब्बा अगर वो मेरा नसीब नहीं तो, ऐसे लोगो से हमे मिलता क्यों है8 / 8बुलाती है मगर जाने का नहीं, ये दुनिया है इधर जाने का नहीं, मेरे बेटे किसी से इश्क़ कर, मगर हद से गुज़र जाने का नहीं, ज़मीं भी सर पे रखनी हो तो रखो, चले हो तो ठहर जाने का नहीं, सितारे नोच कर ले जाऊंगा, मैं खाली हाथ घर जाने का नहीं, वबा फैली हुई है हर तरफ, अभी माहौल मर जाने का नहीं, वो गर्दन नापता है नाप ले, मगर जालिम से डर जाने का नहीं और पढ़ें Subscribe to Notifications