'भारत रत्न' पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की आज पहली पुष्यतिथि है. प्रणब दा का निधन 31 अगस्त 2020 को दिल्ली के आर्मी अस्पताल में हुआ था. प्रणब मुखर्जी कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे, उनकी सर्जरी भी हुई थी.
प्रणब मुखर्जी की पहली पुष्यतिथि पर देश पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने उनकी स्मृति व्याख्यान' में कहा कि भारत के राष्ट्रपति के सर्वोच्च संवैधानिक पद को प्राप्त करने से पहले, प्रणब मुखर्जी का 5 दशकों से अधिक का लंबा और शानदार राजनीतिक जीवन रहा. वह कांग्रेस पार्टी के सबसे प्रतिष्ठित नेताओं में से एक थे.
डॉ. मनमोहन सिंह ने कहा कि भारत सरकार के मंत्रालयों में कई महत्वपूर्ण विभागों को संभाला. उन्होंने जितने भी पदों पर काम किया, उन्होंने व्यापक ज्ञान, गहन ज्ञान, सार्वजनिक जीवन और नेतृत्व कौशल का व्यापक अनुभव, मुद्दों की एक विस्तृत श्रृंखला पर सरकार के महत्वपूर्ण निर्णयों का नेतृत्व किया.
वहीं, बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने 'प्रथम प्रणब मुखर्जी स्मृति व्याख्यान' में कहा कि वह बांग्लादेश के सच्चे मित्र और उपमहाद्वीप के एक महान राजनीतिक प्रतीक थे. मैं इस महान व्यक्तित्व को उनकी पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि अर्पित करती हूं. प्रणब दा को बांग्लादेश से गहरा लगाव था.
शेख हसीना ने कहा कि हमारे महान मुक्ति संग्राम में उनके योगदान को कभी नहीं भुलाया जा सकेगा...बांग्लादेश के लोग उनके समर्थन को कृतज्ञतापूर्वक याद करते हैं. प्रणब मुखर्जी के मन में हमारे राष्ट्रपिता बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान के लिए बहुत सम्मान और गहरा सम्मान था.
भारत के 13वें राष्ट्रपति रहे प्रणब मुखर्जी का 31 अगस्त को 84 वर्ष की आयु में निधन हो गया. कांग्रेस और देश के दिग्गज नेता रहे प्रणब दा 2012 से 2017 तक भारत के राष्ट्रपति रहे. इससे पहले वे छह दशकों तक राजनीति में सक्रिय रहे और उन्हें कांग्रेस का संकटमोचक माना जाता था. 2019 में उन्हें सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से भी नवाजा गया. वे इंदिरा गांधी के विश्वासपात्र लोगों में से एक रहे. प्रणब मुखर्जी ने कई किताबें लिखी.