कोलकाता:पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी सरकार ने आगामी 17 अप्रैल को आने वाली रामनवमी पर बंगाल में सार्वजनिक अवकाश घोषित किया है। जानकारी के अनुसार तृणमूल की बंगाल सरकार ने बीते शनिवार को इस संबंध में एक अधिसूचना जारी करते हुए ऐलान किया कि 17 अप्रैल 2024 को 'राम नवमी' के अवसर पर बंगाल में सार्वजनिक अवकाश रहेगा।
समाचार वेबसाइट हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार ममता बनर्जी सरकार द्वारा लोकसभा चुनाव से पहले किये गये इस ऐलान को लेकर मुख्य विपक्षी दल भाजपा असहज है और उसने आरोप लगाया है कि ममता बनर्जी शासन ने यह कदम हिंदुओं के बीच अपनी खराब छवि को सुधारने के लिए किया है। लेकिन इस मामले में एक तथ्य यह भी है कि बंगाल में न केवल राम नवमी बल्कि दुर्गा पूजा, काली पूजा और सरस्वती पूजा के दौरान पिछले साल कुल सालों में हिंसा का माहौल भी देखा गया है।
वहीं अगर बंगाल की सियासत की बात करें तो मौजूदा समय में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के लिए भाजपा सबसे बड़ी चुनौती बनकर उभरी है और उसने धार्मिक उत्सवों में होने वाली हिंसा की घटनाओं का इस्तेमाल ममता बनर्जी की सरकार को घेरने के लिए किया है।
भाजपा ने आरोप लगाया है कि राज्य की तृणमूल सरकार हिंदू धार्मिक जुलूसों पर अंकुश लगाने का प्रयास कर रही है। राम नवमी की घोषणा ऐसे समय में की गई है जब तृणमूल कांग्रेस रविवार को कोलकाता के ब्रिगेड परेड ग्राउंड में एक बड़ी चुनावी रैली करने के साथ अपने लोकसभा चुनाव अभियान की शुरुआत करने जा रही है।
ममता सरकार द्वारा बंगाल में राम नवमी के दिन छुट्टी की घोषणा पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए भाजपा आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने कहा कि ममता बनर्जी ने अपनी हिंदू विरोधी छवि को बदलने के लिए यह कदम उठाया, लेकिन अब ममता बनर्जी के लिए बहुत देर हो चुकी है।
अमित मालवीय ने सोशल प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर किये एक पोस्ट में कहा, “ममता बनर्जी, जो हर बार जय श्री राम सुनते ही गुस्से से नीली हो जाती थीं, उन्होंने पश्चिम बंगाल में राम नवमी को सार्वजनिक अवकाश घोषित कर दिया है। ऐसा उन्होंने अपनी हिंदू विरोधी छवि को ठीक करने के लिए किया है। हालांकि बहुत देर हो चुकी है। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि उन्हें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि रामनवमी के जुलूस पर कोई पथराव न हो। जय श्री राम”
मालूम हो कि पिछले साल 30 मार्च को पश्चिम बंगाल के उत्तर दिनाजपुर जिले के दलखोला में रामनवमी के जुलूस के दौरान बड़े पैमाने पर हिंसा हुई थी। उत्तर दालखोला के तजामुल चौक पर हमले के बाद भड़की सांप्रदायिक हिंसा के मद्देनजर राज्य पुलिस ने शुरुआत में 162 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था।
इसके बाद 27 अप्रैल को कलकत्ता हाईकोर्ट ने रामनवमी समारोह के दौरान सांप्रदायिक हिंसा से संबंधित मामलों को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को ट्रांसफर करने का आदेश दिया था।
उसके बाद एनआईए ने उस हिंसा के लिए 16 आरोपियों की पहचान अफरोज आलम, मोहम्मद अशरफ, मोहम्मद इम्तियाज आलम, इरफान आलम, कैसर, मोहम्मद फरीद आलम, मोहम्मद फुरकान आलम, मोहम्मद पप्पू, मोहम्मद सुलेमान, मोहम्मद सर्जन, मोहम्मद नुरुल होदा उर्फ "नानुआ", वसीम आर्य, मोहम्मद सलाउद्दीन, मोहम्मद जन्नाथ आलम, वसीम अकरम उर्फ "विक्की" और मोहम्मद तनवीर आलम सहित अन्य के रूप में की थी।