मुंबई: शिवसेना नेता संजय राउत महाराष्ट्र की राजनीति का एक ऐसा नाम हैं जिन्होंने 2019 के विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद राज्य की सियासत का रुख बदल कर रख दिया। इस बात से कोई इनकार नहीं कर सकता कि संजय राउत ने राज्य में कांग्रेस-शिवसेना-एनसीपी की ऐतिहासिक सरकार बनवाने में अहम भूमिका निभाई है।
अपने बेबाक बयानों की वजह से संजय राउत हमेशा मीडिया में चर्चा का विषय बने रहते हैं। केवल मीडिया में ही नहीं बल्कि सोशल मीडिया पर भी संजय राउत का बोलबाला हैं। ट्विटर पर अपनी शेरो-शायरी की शैली में विरोधियों पर निशाना साधने के लिए भी राउत जाने जाते हैं।
इन वजहों से ही संजय राउत को लोकमत की ओर से सर्वश्रेष्ठ पॉलिटिकल ओपिनियन मेकर के लिए 'डिजिटल इन्फ्लुएंसर पुरस्कार' (DIA) से सम्मानित किया गया है। लोकमत ग्रुप के चेयरमैन विजय दर्डा ने संजय राउत को यह पुरस्कार प्रदान किया।
क्राइम रिपोर्टर के तौर पर शुरू किया करियर
मीडिया में कभी क्राइम रिपोर्टर के तौर पर करियर की शुरुआत करने वाले संजय राउत का आज के सफल राजनेता तक का सफर अभी लगातार जारी है। संजय राउत एक ऐसे नेता के रूप में जाने जाते हैं जो सीधे विरोधियों से लोहा लेने में कतराते नहीं हैं।
वडाला के ही डॉ. अंबेडकर कॉलेज से बी.कॉम की डिग्री लेने के बाद राउत ने सबसे पहले 'इंडियन एक्सप्रेस' के आपूर्ति विभाग में नौकरी की। इसके बाद राउत ने साप्ताहिक अखबार 'लोकप्रभा वीकली' के लिए क्राइम रिपोर्टर के तौर पर काम किया।
बाल ठाकरे के कहने पर 'सामना' से जुड़े संजय राउत
पत्रकारिता करते वक्त भी संजय राउत ने कई सनसनीखेज खबरें कर अपना नाम बनाया था। यहीं वो वक्त था जब शिवसेना प्रमुख बालासाहेब ठाकरे की नजर संजय राउत पर पड़ी। बालासाहेब ठाकरे ने मुखपत्र 'सामना' को लॉन्च करते वक्त संजय राउत को बुलाया था।
1989 में संजय राउत शिवसेना के मुखपत्र सामना के लिए काम शुरू किया। 5 साल बाद ही संजय राउत इस अखबार के कार्यकारी संपादक बन गए। संजय राउत ने आज तक कभी-कोई सीधा चुनाव नहीं लड़ा है लेकिन आज भी ठाकरे परिवार के विश्वासपात्र होने के नाते शिवसेना की सांगठनिक जिम्मेदारी उन्हीं के कंधों पर है।
संजय राउत ने बालासाहेब से लेकर आदित्य ठाकरे तक सभी के साथ काम करते हुए भी अपनी अलग पहचान बनाई है।