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श्रीनगर मुठभेड़ में मारे गए तीनों युवकों को पुलिस ने तकनीकी जांच में ‘आतंकी’ करार दिया

By सुरेश एस डुग्गर | Updated: January 1, 2021 18:50 IST

जम्मू-कश्मीरः पुलिस का दावा है कि वे तीनों टीआरएफ के ही सदस्य थे। फिलहाल टीआरएफ ने इस मामले में चुप्पी साध रखी है।

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ठळक मुद्दे पुलिस ने अब तकनीकी जांच में उन्हें आतंकी करार दे दिया है।मुठभेड़ के विरोध में आज श्रीनगर में बंद भी रहा।हड़ताल का आह्वान किसी भी पक्ष द्वारा नहीं किया गया था।

जम्मूः पुलिस ने अभी इस मामले में आग्रह के बावजूद किसी जांच की घोषणा नहीं की, पर दो दिन पहले श्रीनगर के लावेपोरा में हुई मुठभेड़ में मारे गए 3 युवकों के प्रति पहले आतंकी होने पर संदिग्धदता प्रकट करने वाली पुलिस ने अब तकनीकी जांच में उन्हें आतंकी करार दे दिया है।

पुलिस का दावा है कि वे तीनों टीआरएफ के ही सदस्य थे। फिलहाल टीआरएफ ने इस मामले में चुप्पी साध रखी है। दरअसल इन तीनों की मौत के बाद मामला तूल पकड़ चुका है। मृतकों के अभिभावकों द्वारा विरोध प्रदर्शन तो किए ही जा रहे हैं, कई राजनीतिक दलों ने भी मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है।

यही नहीं, इस मुठभेड़ के विरोध में आज श्रीनगर में बंद भी रहा। इस हड़ताल का आह्वान किसी भी पक्ष द्वारा नहीं किया गया था और एक लंबे अरसे के बाद कश्मीर में इस तरह की हड़ताल देखने को मिली थी। अब पुलिस ने प्राथमिक तकनीकी जांच के दौरान सामने आए साक्ष्यों के आधार पर यह दावा किया है कि मारे गए तीनों युवक आतंकी ही थे।

उनका संबंध लश्कर-ए-तैयबा के द रजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) के साथ था। हालांकि पुलिस अभी भी यह कह रही है कि मरने वालों में दो-एजाज और अथर उनके लिए ओवरग्राउंड वर्कर के तौर पर काम करते थे। जबकि सेना तीनों को ही आतंकी बता रही है।

पुलिस प्रवक्ता ने कहा कि एजाज मकबूल के माता-पिता ने दावा किया था कि उनका बेटा यूनिवर्सिटी में फार्म भरने के लिए गया था। उन्होंने दूरसंचार विभाग के रिकार्ड और अन्य आधुनिक उपकरणों की मदद से इसकी जांच की। जांच करने पर माता-पिता का दावा गलत साबित हुआ।

एजाज और अथर पहले हैदरपोरा गए और वहां से मुठभेड़ स्थल पर पहुंचे।इसी तरह तीसरा युवक जुबैर पहले पुलवामा, फिर अनंतनाग, उसके बाद शोपियां से फिर पुलवामा आया और वहां से मुठभेड़ स्थल पर पहुंचा। पुलिस ने यह भी बताया कि जब यह बात सामने आई तो इन तीनों युवकों की बैकग्राउंड चेक की गई।

उसमें भी कई महत्वपूर्ण बातें सामने आई। एजाज और अथर मुश्ताक पिछले कई महीनों से गुपचुप आतंकियों को मदद पहुंचाते थे। जांच पड़ताल करने पर उनका संबंध लश्कर-ए-तैयबा जो अब टीआरएफ के नाम से जाना जाता है, के साथ पाया गया।

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