लाइव न्यूज़ :

ब्लॉग: समान नागरिक संहिता का विरोध करना उचित नहीं

By अवधेश कुमार | Published: June 19, 2023 3:12 PM

विश्व के अधिकतर देशों में समान नागरिक कानून लागू है. हमारे संविधान निर्माताओं ने यूं ही भारत में समान नागरिक संहिता की वकालत नहीं की. संविधान सभा में स्वयं डॉक्टर बाबासाहब आंबेडकर ने इसकी जबरदस्त पैरवी की थी.

Open in App

विधि आयोग द्वारा समान नागरिक संहिता या कॉमन सिविल कोड पर फिर से आम लोगों और धार्मिक संस्थाओं आदि का सुझाव मांगना स्पष्ट करता है कि अब इसके साकार होने का समय आ गया है. पिछले वर्ष ही गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि अब कॉमन सिविल कोड की बारी है. उसी समय लग गया था कि केंद्र सरकार इस दिशा में आगे बढ़ चुकी है. उत्तराखंड सरकार ने इसके लिए एक समिति का गठन किया था. 

उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने भी समान नागरिक संहिता की बात की. फिर असम सरकार ने भी इसकी घोषणा की. कुल मिलाकर केंद्र और प्रदेश की भाजपा सरकारों की ओर से धीरे-धीरे यह संदेश दिया जाता रहा है कि हमारे संविधान निर्माताओं ने भारत के लिए जिस समान नागरिक कानून का सपना देखा और संविधान में उसे शामिल किया, उसको साकार करने का कार्य नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार भी और राज्यों की भाजपा सरकारें भी करने जा रही हैं. 

मोदी सरकार ने इस दिशा में काफी पहले ही पहल कर दी थी. विधि आयोग ने 7 अक्तूबर 2016 को समान नागरिक संहिता पर राय मांगी थी. इसके बाद 19 मार्च, 2018 और फिर 27 मार्च, 2018 को भी सलाह मांगी गई थी. ध्यान रखिए 31 अगस्त, 2018 को विधि आयोग ने फैमिली लॉ यानी परिवार कानून के सुधार की अनुशंसा भी की थी.

जानकारी के अनुसार विधि आयोग के पास करीब 70 हजार सुझाव आए थे. ऐसा लगता है केंद्र सरकार ने संसद में विधेयक लाने के पहले एक बार फिर जनता और धार्मिक संगठनों के साथ जाने का मन बनाया है. चूंकि पिछले कुछ समय में इस पर काफी बहस हुई एवं न्यायालयों की भी टिप्पणियां आई हैं, इस कारण विधि आयोग ने फिर से कंसल्टेशन पेपर यानी सलाह प्रपत्र जारी किया है. उसने कहा है कि उस कंसल्टेशन पेपर को जारी हुए काफी समय बीत चुका है इसलिए हम नया जारी कर रहे हैं. निस्संदेह, इसके समर्थकों एवं विरोधियों दोनों का दायित्व बनता है कि अपना मत विधि आयोग के समक्ष रखें.

विश्व के अधिकतर देशों में समान नागरिक कानून लागू है. हमारे संविधान निर्माताओं ने यूं ही भारत में समान नागरिक संहिता की वकालत नहीं की. संविधान सभा में स्वयं डॉक्टर बाबासाहब आंबेडकर ने इसकी जबरदस्त पैरवी की तथा उनके साथ कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी, ए. कृष्णस्वामी अय्यर जैसे नेताओं ने भी इसकी वकालत की. इसी कारण संविधान के चौथे भाग में लिखित नीति निर्देशक तत्व में इसे स्थान मिला. इसे एक त्रासदी कहा जाएगा कि स्वतंत्रता के 75 वर्ष बाद भी संविधान निर्माताओं का यह महान सपना साकार नहीं हो सका.

टॅग्स :अमित शाहउत्तराखण्डकेशव प्रसाद मौर्याउत्तर प्रदेश
Open in App

संबंधित खबरें

भारतपीएम मोदी और अमित शाह की तरह मास कम्युनिकेटर नहीं हैं एस जयशंकर, जानें आपने बारे में क्या कहा

भारतRae Bareli Lok Sabha Elections 2024: लोकसभा चुनाव के बीच अखिलेश यादव को झटका, सपा के बागी विधायक मनोज पांडे भाजपा में शामिल, अमित शाह के बगल में बैठे

क्राइम अलर्टAgra Crime News: अस्पताल में इंटर्नशिप करती थी 22 वर्षीय सेजल, शाम 7 बजे कमरे में गई और दरवाजा अंदर से बंद कर फांसी लगाई, कोई सुसाइड नोट नहीं, आखिर क्या है इसके पीछे राज

क्राइम अलर्टBijnor Sister Murder: बाप रे बाप!, गांव में हड़कंप, 13 साल की बहन ने सात-पांच साल की अपनी दो बहनों को दुपट्टे से गला घोंटकर मार डाला, पुलिस ने सामने खोले राज

भारतWeather Alert: 5 दिन रहे सतर्क, उत्तर-पश्चिम भारत में लू को लेकर अलर्ट, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली में दिखेगा असर, तापमान 45 डिग्री सेल्सियस पहुंचेगा, जानिए अपने शहर का हाल

भारत अधिक खबरें

भारतPM MODI IN UP: इज्जत बचाने के लिए अब कांग्रेस ने मिशन 50 रखा, पीएम मोदी बोले- कैसे भी करके पूरे देश में 50 सीटें मिल जाएं, देखें वीडियो

भारतSwati Maliwal Assault Case: स्वाति मालीवाल ने तीस हजारी कोर्ट दर्ज कराया बयान, सीएम केजरीवाल के पीए पर लगाए गंभीर आरोप

भारतSwati Maliwal ‘assault’ case: मजिस्ट्रेट के समक्ष बयान दर्ज कराएंगी आम आदमी पार्टी की सांसद स्वाति मालीवाल, तीस हजारी अदालत पहुंचीं, केजरीवाल के सहयोगी बिभव कुमार पर केस

भारत"बुलडोजर कहां चलाना है ये यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ से सीखिए": इंडी गठबंधन से बोले पीएम मोदी, देखें वीडियो

भारतSwati Maliwal Assault Case: कैसे हुआ स्वाति मालीवाल पर हमला? दिल्ली पुलिस करेगी खुलासा, सीएम केजरीवाल के आवास के CCTV फुटेज की होगी जांच