लाइव न्यूज़ :

डेल्टा स्वरूप के खिलाफ हर्ड इम्युनिटी पाना मुश्किल : अध्ययन

By भाषा | Updated: October 15, 2021 16:24 IST

Open in App

नयी दिल्ली, 15 अक्टूबर दिल्ली में इस साल कोविड-19 के गंभीर प्रकोप से पता चला कि सार्स-सीओवी-2 वायरस के किसी अन्य स्वरूप से पहले संक्रमित हो चुके लोगों को वायरस का डेल्टा स्वरूप पुन: संक्रमित कर सकता है। वैज्ञानिकों के एक अंतरराष्ट्रीय दल ने कहा कि वायरस के इस स्वरूप के खिलाफ सामूहिक प्रतिरक्षा क्षमता (हर्ड इम्युनिटी) का विकास बहुत चुनौतीपूर्ण है।

पत्रिका ‘साइंस’ में बृहस्पतिवार को प्रकाशित अध्ययन में कहा गया है कि डेल्टा स्वरूप दिल्ली में सार्स-सीओवी-2 के पिछले स्वरूपों की तुलना में 30 से 70 प्रतिशत तक अधिक संक्रामक है।

दिल्ली में पिछले वर्ष मार्च में कोविड-19 का पहला मामला सामने आने के बाद शहर में जून, सितंबर और नवंबर 2020 में वायरस ने कहर बरपाया। इस वर्ष अप्रैल में तो हालात बेहद खराब हो गए जब 31 मार्च से 16 अप्रैल के बीच संक्रमण के दैनिक मामले 2,000 से बढ़कर 20,000 तक पहुंच गए। इस दौरान अस्पतालों और आईसीयू में मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ी और स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली बेहद दबाव में आ गई। वायरस की पहले की लहरों की तुलना में मरने वालों की संख्या भी तीन गुना बढ़ गई।

अध्ययनकर्ताओं का कहना है कि दिल्ली की कुल सीरो-संक्रमण दर 56.1 फीसदी है जिससे भविष्य में वायरस की लहर आने पर सामूहिक प्रतिरक्षा क्षमता के जरिए ही कुछ सुरक्षा मिलेगी। सामूहिक प्रतिरक्षा क्षमता से रोग से परोक्ष सुरक्षा मिलती है और यह तब विकसित होती है जब पर्याप्त प्रतिशत आबादी में संक्रमण के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो जाती है।

हालिया अध्ययन में महामारी के प्रकोप को समझने के लिए जिनोमिक और महामारी विज्ञान संबंधी आंकड़ों और गणितीय मॉडल का उपयोग किया गया।

राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र तथा वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद के इंस्टीट्यूट ऑफ जिनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी (सीएसआईआर-आईजीआईबी) के नेतृत्व में यह अध्ययन कैंब्रिज विश्वविद्यालय, इम्पीरियल कॉलेज ऑफ लंदन और कोपेनहेगन विश्वविद्यालय के सहयोग से किया गया।

सह अध्ययनकर्ता कैंब्रिज विश्वविद्यालय में प्रोफेसर रवि गुप्ता ने कहा, ‘‘वायरस के प्रकोप को खत्म करने के लिए सामूहिक प्रतिरक्षा क्षमता की अवधारणा बेहद महत्वपूर्ण है। लेकिन दिल्ली में हालात दिखाते हैं कि कोरोना वायरस के पहले के स्वरूपों से संक्रमित होना डेल्टा स्वरूप के खिलाफ सामूहिक प्रतिरक्षा क्षमता प्राप्त करने के लिहाज से पर्याप्त नहीं है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘डेल्टा स्वरूप के प्रकोप को खत्म करने या इसे रोकने का एक ही तरीका है, या तो इस स्वरूप से संक्रमण हो जाए या फिर टीके की अतिरिक्त खुराक ली जाए जिससे एंटीबॉडी का स्तर इस हद तक बढ़ जाए जो डेल्टा स्वरूप की बच पाने की क्षमता को ही खत्म कर दे।’’

अप्रैल 2021 में दिल्ली में कोरोना वायरस के कहर के लिए क्या सार्स-सीओवी-2 के स्वरूप जिम्मेदार थे? यह पता लगाने के लिए अध्ययनकर्ताओं के दल ने दिल्ली में नंवबर 2020 से जून 2021 के बीच के वायरस के नमूने एकत्रित किए जिनकी सिक्वेंसिंग की गई और विश्लेषण किया गया। इसमें उन्होंने पाया कि दिल्ली में 2020 का प्रकोप वायरस के किसी भी चिंताजनक स्वरूप के कारण नहीं था।

जनवरी 2021 तक अल्फा स्वरूप किन्हीं-किन्हीं मामलों में पाया गया, विशेषकर विदेश से आए लोगों में। यह स्वरूप सबसे पहले ब्रिटेन में सामने आया था। मार्च 2021 तक यहां इस स्वरूप के मामले 40 फीसदी हो गए। अध्ययनकर्ताओं ने बताया कि इसके बाद अप्रैल में डेल्टा स्वरूप से जुड़े मामलों में तेज इजाफा हुआ।

गणितीय मॉडल की मदद से और महामारी विज्ञान एवं जिनोमिक आंकड़ों के जरिए अध्ययनकर्ताओं ने पाया कि डेल्टा स्वरूप उन लोगों को संक्रमित करने में सक्षम है जो पहले सार्स-सीओवी-2 से पीड़ित रह चुके हैं।

अध्ययनकर्ताओं ने कहा कि संक्रमण की चपेट में आ चुके लोगों की डेल्टा स्वरूप से 50-90 फीसदी ही रक्षा हो पाती है।

सीएसआईआर-आईजीआईबी में वरिष्ठ अध्ययनकर्ता एवं इस अध्ययन के सह प्रमुख अध्ययनकर्ता अनुराग अग्रवाल ने कहा, ‘‘इस अध्ययन से डेल्टा स्वरूप के वैश्विक प्रकोप, विशेषकर ऐसी आबादी में जिनका टीकाकरण हो चुका है, उसे समझने में मदद मिली। डेल्टा स्वरूप टीकाकरण करवा चुके लोगों या पहले संक्रमित रह चुके लोगों के जरिए फैल सकता है।’’

पुन: संक्रमण के वास्तविक साक्ष्य प्राप्त करने के लिए सीएसआईआर द्वारा इस अध्ययन में शामिल किए गए लोगों की जांच की गई।

फरवरी में, अध्ययन में शामिल ऐसे लोग जिनका टीकाकरण नहीं हुआ था उनमें से 42.1 में सार्स-सीओवी-2 के खिलाफ एंटीबॉडी पाई गई। जून में ऐसे लोगों की संख्या 88.5 फीसदी थी जिसका मतलब था देश में संक्रमण की दूसरी लहर में संक्रमण दर काफी अधिक थी। डेल्टा का प्रकोप शुरू होने से पहले ही जो लोग संक्रमित हो चुके थे, अध्ययन में शामिल ऐसे 91 लोगों में से एक चौथाई लोगों में एंटीबॉडी का बढ़ा हुआ स्तर पाया गया जो सबूत था उनके पुन: संक्रमण की चपेट में आने का।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

Open in App

संबंधित खबरें

क्रिकेटविराट कोहली और रोहित शर्मा की सैलरी में ₹2 करोड़ की कटौती की संभावना, शुभमन गिल को मिल सकता है अप्रैज़ल

भारतपश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने SIR के खिलाफ महिलाओं को सीधे भड़काया, कहा- 'आपके पास किचन के औजार हैं'

भारततमिलनाडु, गुजरात, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश और अंडमान और निकोबार में बढ़ी SIR की समयसीमा, चुनाव आयोग का बड़ा फैसला

क्राइम अलर्टBallia Crime News: मौसी के घर आता था आफताब, बहन को अगवा कर किया दुष्कर्म, 2 दिन बाद पुलिस ने कराया मुक्त?

कारोबारएप्पल ने नोएडा में अपना पहला स्टोर खोला, जानें कस्टमर्स के लिए ऑफर, वर्कशॉप और टाइमिंग

भारत अधिक खबरें

भारतछत्तीसगढ़ ट्रेन दुर्घटना जांच: परीक्षा में फेल और ट्रेन चलाते समय फोन पर लेता था जानकारी?, रेलवे ने अयोग्य लोको पायलट को किया नियुक्ति, 12 की मौत और 19 यात्री घायल

भारतनगर निगम चुनाव से पहले अमित शाह से मिले महाराष्ट्र भाजपा अध्यक्ष रविंद्र चव्हाण, सीएम देवेंद्र फडणवीस और उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के बीच चर्चा की जानकारी

भारतबिहार चुनाव में हार के बाद राजद में भगदड़, पूर्व सांसद और विजय कृष्ण ने दिया इस्तीफा, लालू प्रसाद यादव को लिखा भावुक पत्र

भारतएमपी के एक खेल महोत्सव में देरी से पहुँचने पर भाजपा सांसद वीडी शर्मा को एक महिला खिलाड़ी ने झाड़ा, कहा- ...हमारे पास फालतू टाइम है क्या? वीडियो वायरल | WATCH

भारतपूरे देश ने देखा अमित शाह मानसिक रूप से बहुत दबाव में हैं, राहुल गांधी ने कहा- संसद में बहुत ‘नर्वस’ नजर आए और बहस की चुनौती पर कोई जवाब नहीं दिया