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तुषार मेहता को सॉलिसिटर जनरल के पद से हटाने की मांग, तृणमूल के सांसदों ने राष्ट्रपति से की मुलाकात

By भाषा | Updated: July 5, 2021 16:26 IST

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नयी दिल्ली, पांच जुलाई तृणमूल कांग्रेस सांसदों के एक प्रतिनिधिमंडल ने सोमवार को राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद से मुलाकात कर तुषार मेहता को भारत के सॉलिसिटर जनरल के पद से हटाने की मांग की। उन्होंने आरोप लगाया कि भारत के सॉलिसिटर जनरल और पश्चिम बंगाल में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता शुभेंदु अधिकारी के बीच कथित मुलाकात गंभीर और अनुचित कृत्य है।

तृणमूल कांग्रेस के सांसदों सुखेंदु शेखर राय और महुआ मोइत्रा ने राष्ट्रपति को एक पत्र लिखा था जिसमें बताया गया था कि ‘‘यह बैठक मेहता के आधिकारिक आवास’’ पर हुई। तृणमूल कांग्रेस की ओर से सांसदों द्वारा दिए गए पत्र में कहा गया है, ‘‘भारत के शीर्ष विधि अधिकारियों में से एक और केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा जांच किए जा रहे मामले में विशेष लोक अभियोजक के तौर पर नियुक्त मेहता और भाजपा नेता के बीच इस तरह की मुलाकात से शुचिता पर गंभीर सवाल उठते हैं।’’

सॉलिसिटर जनरल मेहता ने हालांकि अपने आधिकारिक आवास पर अधिकारी से इस तरह की मुलाकात से इनकार किया है। गौरतलब है कि अधिकारी कभी तृणमूल के कद्दावर नेता थे। वह 2016 के नारद टेप मामले में आरोपी हैं और मेहता उच्चतम न्यायालय और कलकत्ता उच्च न्यायालय में इस मामले में केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) का पक्ष रख रहे हैं।

पत्र में कहा गया है कि कई खबरों में इस कथित आमने-सामने की मुलाकात की बात कही गयी है, जिनके वीडियो और तस्वीरों भी सामने आईं हैं। पत्र में कहा गया है, ‘‘यह राष्ट्रीय महत्व का बेहद चिंताजनक मामला है और यह भारत के सबसे शीर्ष विधि अधिकारियों में से एक - भारत के सॉलिसिटर जनरल के कार्यालय में शुचिता से जुड़ा गंभीर मामला है।’’

इससे पहले, पार्टी सांसदों डेरेक ओ ब्रायन, राय और मोइत्रा ने पश्चिम बंगाल में भाजपा के नेता शुभेंदु अधिकारी से मुलाकात को लेकर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को पद से हटाने की मांग करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र भी लिखा था। प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में पार्टी के सांसद डेरेक ओ ब्रायन और महुआ मोइत्रा ने आरोप लगाया था कि मेहता और अधिकारी के बीच बैठक न केवल अनुचित है, बल्कि हितों का सीधा टकराव है और देश के दूसरे सर्वोच्च कानून अधिकारी सॉलिसिटर जनरल के पद की गरिमा को भी कमतर करती है।

राष्ट्रपति को लिखे पत्र में कहा गया है, ‘‘इसके बाद भी अधिकारी और देश के गृह मंत्री अमित शाह के बीच मुलाकात हुई, जो अनुचित है और मामले को और गंभीर बनाती है। गौरतलब है कि अधिकारी धोखाधड़ी और अवैध तरीके से धन जुटाने और रिश्वत के विभिन्न आपराधिक मामलों में आरोपी हैं। पत्र के अनुसार, ‘‘इस तरह की बैठक आपराधिक न्याय प्रणाली का मजाक है और इससे सिर्फ आम जनता का न्यायतंत्र से भरोसा उठेगा।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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