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Coronavirus: DRDO ने विकसित की सैनेटाइज करने की तकनीक, विकसित किए दो प्रकार के उपकरण

By भाषा | Updated: April 4, 2020 05:43 IST

सैनेटाइजिंग उपकरण के दो प्रकार विकसित किए गए हैं- एक पीठ पर लेकर चला जा सकता है और दूसरे उपकरण को ट्रॉली का आकार दिया गया है। पीठ पर ले जा सकने वाले उपकरण को सैनेटाइज करने वाले कर्मी कहीं भी ले जा सकते हैं और इससे 300 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र को संक्रमण मुक्त किया जा सकता है। इसके इस्तेमाल से अस्पताल, डॉक्टर के कक्ष, कार्यालय, गलियारे, मेट्रो, रेलवे स्टेशनों इत्यादि पर छिड़काव किया जा सकता है।

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ठळक मुद्देकोरोना वायरस से लड़ने की भारत की क्षमता को बढ़ाते हुए रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने विभिन्न क्षेत्रों को सैनेटाइज करने की तकनीक विकसित की हैं। इससे पहले डीआरडीओ ने सेफ्टी सूट, वेंटिलेटर और विशेष प्रकार के मास्क का निर्माण करने में सफलता अर्जित की थी।

कोरोना वायरस से लड़ने की भारत की क्षमता को बढ़ाते हुए रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने विभिन्न क्षेत्रों को सैनेटाइज करने की तकनीक विकसित की हैं। अधिकारियों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।

इससे पहले डीआरडीओ ने सेफ्टी सूट, वेंटिलेटर और विशेष प्रकार के मास्क का निर्माण करने में सफलता अर्जित की थी।

डीआरडीओ ने एक वक्तव्य में कहा कि दिल्ली स्थित विस्फोटक एवं पर्यावरण सुरक्षा केंद्र (सीएफईईएस) ने सैनेटाइजिंग उपकरण के दो प्रकार विकसित किए हैं। आग बुझाने की तकनीकों के विकास पर काम करने के दौरान यह तकनीक विकसित हुई।

सैनेटाइजिंग उपकरण के दो प्रकार विकसित किए गए हैं- एक पीठ पर लेकर चला जा सकता है और दूसरे उपकरण को ट्रॉली का आकार दिया गया है। पीठ पर ले जा सकने वाले उपकरण को सैनेटाइज करने वाले कर्मी कहीं भी ले जा सकते हैं और इससे 300 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र को संक्रमण मुक्त किया जा सकता है। इसके इस्तेमाल से अस्पताल, डॉक्टर के कक्ष, कार्यालय, गलियारे, मेट्रो, रेलवे स्टेशनों इत्यादि पर छिड़काव किया जा सकता है।

डीआरडीओ ने कहा कि ट्रॉली के आकार वाले उपकरण की सहायता से 3000 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र को संक्रमण मुक्त किया जा सकता है। वक्तव्य में कहा गया कि इन उपकरणों को तत्काल प्रयोग में लाने के लिए दिल्ली पुलिस को उपलब्ध कराया जा रहा है। जल्दी ही निजी क्षेत्र के सहयोग से इन्हें अन्य एजेंसियों को भी मुहैया कराया जाएगा।

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