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बंगाल हिंसा और भ्रष्टाचार के चलते पिछड़ रहा : दिनेश त्रिवेदी

By भाषा | Updated: April 5, 2021 19:02 IST

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(जयंत रॉय चौधरी)

कोलकाता, पांच अप्रैल पूर्व केंद्रीय मंत्री दिनेश त्रिवेदी ने कहा है कि पश्चिम बंगाल में काफी संख्या में कुशल श्रमिक, प्रशिक्षित इंजीनियर एवं पेशेवर लोगों की मौजूदगी होने के बावजूद राज्य हिंसा एवं भ्रष्टाचार की संस्कृति के चलते पिछड़ रहा है।

हाल ही में भाजपा में शामिल हुए त्रिवेदी ने कहा कि रोजगार सृजन, बुनियादी ढांचा तैयार करना और उद्योग लगाने के लिए ज्ञान के केंद्र के रूप में बंगाल के संसाधन का उपयोग करना राज्य में भाजपा के सत्ता में आने पर उसकी प्राथमिकताओं में शामिल रहेगा।

त्रिवेदी (71) ने कहा कि भगवा पार्टी रोजगार सृजन और उद्योगों को आकर्षित करने के लिए बुनियादी ढांचे में निवेश की उम्मीद करती है। उन्होंने कहा कि राजमार्गों, रेलवे, बंदरगाह और हवाईअड्डों के विकास से रोजगार का सृजन होगा।

उन्होंने पीटीआई-भाषा से एक साक्षात्कार में कहा, ‘‘बंगाल ज्ञान का एक केंद्र है, फिर भी हम राज्य में उद्योग लगाने और रोजगार सृजन करने में इसका उपयोग करने में नाकाम रहे हैं। राज्य प्रति वर्ष जितनी संख्या में सॉफ्टवेयर इंजीनियरों को प्रशिक्षित करता है, उसके मद्देनजर यहां एक समानांतर सिलिकॉन वैली बनाने की गुंजाइश है।’’

उन्होंने कहा कि बंगाल के इंजीनियरिंग कॉलेजों से पाठ्यक्रम पूरा कर निकलने वाले छात्रों का देश में अन्य स्थानों पर स्थित आई टी केंद्रों में और विदेश जाना जारी है।

पूर्व रेल मंत्री त्रिवेदी ने कहा, ‘‘बंगाल कई अन्य राज्यों से काफी पहले एक औद्योगीकृत राज्य बना था, लेकिन हिंसा, भ्रष्टाचार और वसूली के चक्र के चलते बाद के समय में यह पिछड़ता चला गया। ’’

उन्होंने अपना राजनीतिक करियर कांग्रेस के साथ शुरू किया था। वह 1998 में तृणमूल कांग्रेस में शामिल होने से पहले 1990 में जनता दल से राज्य सभा सदस्य बने थे।

भाजपा के चुनाव घोषणापत्र ‘संकल्प पत्र’ में भी कहा गया है कि भारत के औद्योगिक उत्पादन में बंगाल की हिस्सेदारी 30 प्रतिशत से घट कर 3.5 प्रतिशत रह गई है। ’’

त्रिवेदी ने कहा , ‘‘जब ममता बनर्जी वाम मोर्चे को सत्ता से बेदखल कर शासन में आई थी, हमने बदलाव की बात की थी। लेकिन सिर्फ बंगाल में शासन करने वाली पार्टी बदली, शासन शैली नहीं बदली। ’’

उन्होंने दावा किया कि डांस बार और शराब की दुकानों की संख्या बढ़ी, लेकिन उद्योग नहीं बढ़ें।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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