1993 Serial Bomb Blasts News: राजस्थान की विशेष अदालत ने आज 1993 विस्फोट मामले में लश्कर ए तय्यबा का कट्टर आतंकवादी सैयद अब्दुल करीम उर्फ टुंडा को आतंकवादी और विघटनकारी गतिविधि अधिनियम (टाडा) अदालत ने 1993 के सिलसिलेवार बम विस्फोट मामले में बरी कर दिया है। कोर्ट ने सबूतों की कमी का हवाला दिया। राजस्थान के अजमेर में मामला चल रहा था। टुंडा पर भारतीय दंड संहिता की धारा 307, 120-बी (साजिश) और विस्फोटक अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत आरोप लगाए गए थे। लश्कर-ए-तैयबा के संदिग्ध बम विशेषज्ञ टुंडा को 16 अगस्त 2013 को भारत-नेपाल सीमा पर बनबासा से गिरफ्तार किया गया था। 1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंस की पहली बरसी पर कई ट्रेनों में हुए विस्फोटों में दो लोग मारे गए और कई अन्य घायल हो गए थे।
अदालत ने टुंडा के खिलाफ सबूतों की कमी का हवाला देते हुए अन्य दो आरोपियों अमीनुद्दीन और इरफान को दोषी ठहराया और उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई। टुंडा जो अब 84 वर्ष का है। 1996 के बम विस्फोट मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद वर्तमान में आजीवन कारावास की सजा काट रहा है। वह कई अन्य बम विस्फोट मामलों में आरोपी है।
टुंडा उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले के पिलखुआ का रहने वाला है। टुंडा के खिलाफ सोनीपत और पानीपत सहित कई बम विस्फोट मामलों में प्राथमिकी दर्ज है। टुंडा के लश्कर ए तैयबा आतंकी संगठन का सदस्य और बम बनाने में माहिर होने का संदेह है।
भारत के सबसे वांछित आतंकवादियों में से एक और देशभर में 40 से अधिक बम धमाकों के मास्टरमाइंड है। टुंडा उन 20 आतंकवादियों में से एक है, जिसे भारत ने 26/11 मुंबई हमलों के बाद पाकिस्तान से उसे सौंपने के लिए कहा था। देशभर में कई बम धमाकों के पीछे उसका हाथ होने का संदेह है।
अजमेर की एक अदालत ने लगभग तीन दशक पहले देश भर में पांच ट्रेन में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों के मामले में मुख्य आरोपी अब्दुल करीम टुंडा को बृहस्पतिवार को बरी कर दिया। आतंकवाद और विघटनकारी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (टाडा) अदालत ने दो अन्य आरोपियों इरफान और हमीदुद्दीन को इस मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई है।
याचिकाकर्ता के वकील शफकत सुल्तानी ने अजमेर में यह जानकारी दी। उन्होंने कहा, ‘‘अब्दुल करीम टुंडा को सभी आरोपों से बरी कर दिया गया है। अभियोजन पक्ष आरोपों को साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत पेश नहीं कर सका।’’ टुंडा पर छह दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद विध्वंस की पहली बरसी पर कई ट्रेन में बम विस्फोट करने का आरोप है।
टाडा अदालत ने 30 सितंबर 2021 को मामले के मुख्य आरोपी और दाऊद इब्राहिम के करीबी 81 वर्षीय अब्दुल करीम टुंडा तथा दो अन्य - इरफान उर्फ पप्पू व हमीदुद्दीन - के खिलाफ पांच-छह दिसंबर 1993 की मध्यरात्रि को हैदराबाद, सूरत और मुंबई लखनऊ, कानपुर में विस्फोटों की साजिश रचने के आरोप तय किए थे।
याचिकाकर्ताओं के वकील अब्दुल रशीद ने संवाददाताओं को बताया कि इरफान और हमीदुद्दीन को बम रखने के लिए आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो के वकील ने कहा कि मामले में आगे अपील की जाएगी।