हैदराबाद: तेलंगाना साइबर सुरक्षा ब्यूरो (टीजीसीएसबी) ने एक महिला को भारतीयों को कंबोडिया भेजने और उन्हें साइबर अपराध करने के लिए मजबूर करने के आरोप में गिरफ्तार किया है। आरोपी की पहचान चेंबूर निवासी प्रियंका शिवकुमार सिद्दू के रूप में की गई है। आरोपी महिला पहले विदेश में नौकरी करती थी। लेकिन जब वह कंपनी बंद हो गई और प्रियंका बेरोजगार हो गई तो उसने बिना किसी लाइसेंस के ही भारत में अपनी एजेंसी शुरू की।
आरोपी महिला प्रियंका अखबारों और पोस्टरों को माध्यम से नौकरी के विज्ञापन देती थी। नौकरी चाहने वालों को वह कंबोडिया विजिट वीजा की पेशकश करती थी। साथ ही ये वादा भी करती थी कि बाद में उन्हें जॉब वीजा में बदल दिया जाएगा।
टाइम्स नाऊ की रिपोर्ट के अनुसार इस काम में प्रियंका का संपर्क श्री नारायण के साथ हुआ। श्री नारायण भी मुंबई में भी इसी तरह की एजेंसी संचालित करता था। श्री नारायण के माध्यम से प्रियंका को पता चला कि कंबोडिया में डेटा एंट्री लेवल की बहुत सारी नौकरियां हैं। इसके बाद प्रियंका ने कंबोडिया का दौरा किया और भारत से एक कर्मचारी भेजने के बदले 40 हजार रुपये कमीशन की डील करके वापस आई।
भारत लौटने के बाद प्रियंका ने अपनी बहन के बेटे अक्षय और उसके दोस्त दानिश खान के लिए वीजा बनवाया। कंबोडिया पहुंचने पर दोनों को 12 घंटे की सड़क यात्रा के माध्यम से एक जगह ले जाया गया और उनका काम बताया गया। काम के बारे में जानने के बाद दोनों के होश उड़ गए। दरअसल ये कोई डाटा एंट्री की नौकरी नहीं बल्कि साइबर अपराध का काम था। इस बीच प्रियंका ने समाचार पत्रों और सोशल मीडिया के माध्यम से कंबोडिया में ऊंची सैलरी वाली नौकरियों का विज्ञापन देना जारी रखा।
उसने प्रत्येक उम्मीदवार से कमीशन के रूप में तीस हजार लिए। उसके झांसे में फंस कर कई लोग कंबोडिया पहुंच गए। यहां उनसे साइबर क्राइम करवाए गए। साइबर आपराधिक गतिविधियों में भाग लेने से इनकार करने के बाद उन्हें गंभीर शारीरिक और मानसिक यातना का सामना करना पड़ा। ये लोग बड़ी कठिनाई से भारत लौटे। मामला खुलने पर प्रियंका पर साइबर अपराध पुलिस स्टेशन (मुख्यालय) में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 323, 370, 342, 386, 420, 506 और 120बी, आईटी अधिनियम (2024) की धारा 66डी और उत्प्रवासन अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है। साइबर अपराध के लिए दूसरों को विदेश भेजने में उसकी संलिप्तता की जांच जारी है।