पाकिस्तान और भारत तो हजारों साल से एक ही मुल्क, एक ही तहजीब और एक ही दुख-दर्द वाले देश रहे हैं. इमरान के लिए यह मौका है, दोनों देशों के बीच एक नई इबारत लिखने का।
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हर क्षेत्नीय दल अपने ही घर में संग्राम का शिकार है. कार्यकर्ता भ्रम में है. आम अवाम का नुकसान हो रहा है. किसी भी सभ्य प्रजातांत्रिक समाज के लिए यह अच्छा नहीं है.
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हैदराबाद, मैसूर, त्रवणकोर, बड़ौदा, जयपुर और पटियाला के पूर्व राज परिवारों को सालाना 10 लाख रुपए मिलते थे. जाहिर है कि यह राशि 1947 के हिसाब से बहुत भारी-भरकम थी.
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जयंतीलाल भंडारी
पिछले दिनों 13 से 15 नवंबर को सिंगापुर में आयोजत क्षेत्रीय आर्थिक साङोदारी सम्मेलनों एवं कार्यक्रमों के माध्यम से भारत क्षेत्रीय आर्थिक साङोदारी की नई डगर पर आगे बढ़ा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी क्षेत्रीय समग्र आर्थिक साङोदारी (आरसी
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संवैधानिक प्रावधानों को हमेशा सबसे ऊपर रखा जाना चाहिए. लेकिन राजनेता हमेशा यह मानते हैं कि उन्हें उच्चतम शक्तियां पाने का अधिकार है और इसलिए वे विधायिका या कार्यपालिका के जरिए संस्थागत स्वायत्तता को कमजोर करने की कोशिश करते हैं.
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