अवधेश कुमार का ब्लॉगः मालदीव से संबंधों में फिर लौटती गर्माहट

By अवधेश कुमार | Published: November 20, 2018 04:05 PM2018-11-20T16:05:58+5:302018-11-20T16:05:58+5:30

प्रधानमंत्नी नरेंद्र मोदी राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह के शपथ ग्रहण समारोह में सर्वोच्च रैंकिंग वाले राजकीय अतिथि थे.

Avadhesh kumar's blog: The returning warmth in relations with the Maldives | अवधेश कुमार का ब्लॉगः मालदीव से संबंधों में फिर लौटती गर्माहट

अवधेश कुमार का ब्लॉगः मालदीव से संबंधों में फिर लौटती गर्माहट

मालदीव की राजधानी माले में यह दृश्य देखने के लिए भारतीय तरस रहे थे. प्रधानमंत्नी नरेंद्र मोदी राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह के शपथ ग्रहण समारोह में सर्वोच्च रैंकिंग वाले राजकीय अतिथि थे. शपथ ग्रहण समारोह के दौरान मोदी मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद और मौमून अब्दुल गयूम के बीच में बैठे थे. यह दृश्य हर उस व्यक्ति को भावुक कर रहा था जो मालदीव के साथ भारत के पारंपरिक रिश्तों से वाकिफ हैं. इसमें चीन के संस्कृति और पर्यटन मंत्नी लू शुगांग भी शामिल हुए लेकिन वो एक सामान्य अतिथि की तरह थे. 

माले हवाई अड्डे पर मोदी का शानदार स्वागत बता रहा था कि स्थितियां बदल गई हैं. पूर्व राष्ट्रपति और भारत के मित्न   मोहम्मद नशीद समेत कई नेताओं से गले मिलने की तस्वीरें भी सुखद थीं. वस्तुत: गर्मजोशी के ये हाव-भाव बता रहे थे कि पूर्व शासन द्वारा अकारण भारत को मालदीव से बाहर करने तथा चीन द्वारा स्थानापन्न कराने की नीति पर विराम लगने की शुरु आत हो गई है. राष्ट्रपति सोलिह और नाशीद दोनों तथा उनकी मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी भारत की ईमानदार मित्नता तथा इसके नि:स्वार्थ सहयोगी व्यवहार के समर्थक हैं. 

शपथ ग्रहण के बाद मोदी और सोलिह दोनों ने एक दूसरे की चिंताओं और भावनाओं का सम्मान करने तथा हिंद महासागर के इस क्षेत्न में शांति एवं स्थिरता बनाए रखने पर जो सहमति व्यक्त की उसके मायने व्यापक हैं. राष्ट्रपति सोलिह ने संबंधों में भारत को प्राथमिकता देने का संकेत देकर तस्वीर साफ कर दी. पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन की मूर्खता से मालदीव चीन के कर्ज में बुरी तरह फंसा हुआ है. 

उन्होंने चीन को काम करने की खुली छूट दे दी. चीन ने बड़ी चालाकी से बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के तहत विकास के नाम पर अनावश्यक पुल तथा भवनों का निर्माण किया जो कर्ज के रूप में है. मोटामोटी आकलन यह है कि चीन का करीब 1.5 अरब डॉलर का कर्ज मालदीव पर होगा. सोलिह ने कहा कि यह पूरा हिसाब नहीं है, कर्ज ज्यादा हो सकता है. 4 लाख की आबादी वाले देश के लिए यह कितना बड़ा कर्ज है इसे समझना कठिन नहीं है. 

सोलिह सरकार ने चीन के कर्जे और उसके रिस्ट्रक्चरिंग पर काम आरंभ कर दिया है. इसमें भारत सबसे बड़ा सहयोगी हो सकता है. भारत के हित में यही है कि कठिनाई के बावजूद तुरंत मालदीव को इतनी वित्तीय मदद दे जिससे वह चीनी कर्ज के दबाव से मुक्त हो सके. प्रधानमंत्नी ने सोलिह को पूर्ण मदद का आश्वासन दिया है. अब जबकि सोलिह दृढ़ निश्चय के साथ मालदीव को चीन के कर्ज चंगुल तथा भयाक्रांत करने वाली सामरिक उपस्थितियों से मुक्त करने व भारत के सहयोग से विकास को बढ़ावा देने के लिए काम करना आरंभ कर चुके हैं, हम पुराने संबंधों की वापसी की उम्मीद कर सकते हैं.

Web Title: Avadhesh kumar's blog: The returning warmth in relations with the Maldives

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