विवेक शुक्ला का ब्लॉगः इंदिरा गांधी ने राजा-महाराजाओं को बनाया था आम आदमी

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: November 19, 2018 05:37 AM2018-11-19T05:37:23+5:302018-11-19T05:37:23+5:30

हैदराबाद, मैसूर, त्रवणकोर, बड़ौदा, जयपुर और पटियाला के पूर्व राज परिवारों को सालाना 10 लाख रुपए मिलते थे. जाहिर है कि यह राशि 1947 के हिसाब से बहुत भारी-भरकम थी.

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विवेक शुक्ला का ब्लॉगः इंदिरा गांधी ने राजा-महाराजाओं को बनाया था आम आदमी

विवेक शुक्ला

इंदिरा गांधी एक साहसी राजनेता, कल्पनाशील प्रशासक और एक कुशल रणनीतिकार भी थीं.  उन्होंने राजे-रजवाड़ों को मिलने वाली आर्थिक मदद एक झटके में खत्म कर दी थी. उन्होंने संविधान में संशोधन करवाकर उन राजे-रजवाड़ों को सरकार से मिलने वाली आर्थिक मदद को बंद करवा दिया, जिन्होंने देश की आजादी के वक्त भारत के साथ अपनी रियासत का विलय करना मंजूर किया था.

इंदिरा गांधी ने इस तरह से भारतीय समाज के जनतांत्रिकीकरण की भी शुरुआत की. उन्होंने सामंतवादी तत्वों को भारत की जनतांत्रिक व्यवस्था के सामने सिर झुकाने और उसके मुताबिक चलने को बाध्य किया था. अंग्रेजों के देश छोड़ने के बाद करीब 555 राजे-रजवाड़ों को आर्थिक मदद मिल रही थी. 

यही नहीं उनकी पहले की हैसियत के अनुसार तोपों की सलामी की भी व्यवस्था जारी रही. भारतीय संघ में सम्मिलित होने के एवज में इन रजवाड़ों को सालाना 5 हजार रु पए से लेकर 10 लाख रुपए तक मिल रहे थे. हैदराबाद, मैसूर, त्रवणकोर, बड़ौदा, जयपुर और पटियाला के पूर्व राज परिवारों को सालाना 10 लाख रुपए मिलते थे. जाहिर है कि यह राशि 1947 के हिसाब से बहुत भारी-भरकम थी.

हालांकि इंदिरा गांधी के कदम का कांग्रेस के भीतर मोरारजी देसाई ने विरोध किया था. पर इंदिराजी का तर्क था कि देश में सभी नागरिक एक समान हैं और सरकार का वित्तीय घाटा भी कम करना है. बेशक, यह उस समय के हिसाब से बहुत बड़ा साहसिक कदम था. 
 
बहरहाल, जैसा कि स्वाभाविक था, यह फैसला उस समय के राजाओं और नवाबों को रास नहीं आया. इस पर मुखर असंतोष जाहिर करने वालों में से एक थे- मंसूर अली खान पटौदी. उन्हें यह रास नहीं आया कि इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार उन्हें दी जानी वाली सुविधा वापस ले ले. उन्होंने इस फैसले को 1971 के लोकसभा चुनावों में मुद्दा बनाया. वे गुड़गांव से विशाल हरियाणा पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़े. 

उन्होंने अपने प्रचार अभियान के दौरान इस फैसले का विरोध किया और इसके खिलाफ जनता को एकजुट करने की कोशिश की. उन्हें उम्मीद थी कि उनकी प्रजा उनका साथ देगी. गुड़गांव लोकसभा क्षेत्र में ही उनकी रियासत पटौदी भी आती थी. लेकिन उन्हें चुनाव में करारी मात ङोलनी पड़ी. मात्र पांच फीसदी लोगों ने उनके हक में 
वोट दिया. उनकी रियासत को हर माह 48 हजार रुपए का भत्ता  मिलता था. 

जब इंदिरा गांधी की समूची शख्सियत का मूल्यांकन हो तब इस बात को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए कि उन्होंने राजे-रजवाड़ों को आम आदमी की श्रेणी में खड़ा करने की बड़ी कोशिश की थी.

Web Title: ivek Shukla's blog: Indira Gandhi made the King a common man

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