1966 तक संगठन में कार्यकर्ता का बड़ा महत्व था लेकिन उसके बाद समर्पित कार्यकर्ताओं की जगह कांट्रेक्टर आ गए. सभाओं में भीड़ कांट्रेक्टर जुटाने लगे. 1985 से 1990 के बीच बैग संस्कृति ने भी जन्म लिया. कांग्रेस बदलने लगी.
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पूंजीवाद की अर्थव्यवस्था में किसी देश की आर्थिक स्थिति को मापने के कई पैमाने होते हैं. इनमें एक है शेयर बाजार. हालांकि आजकल शेयर बाजार इतना ज्यादा संवेदनशील हो गया है कि सुदूर अमेरिका में कोई घटना इसमें उथल-पुथल मचा सकती है और उससे उबरने के लिए वित्त
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सत्ता दुबारा ज्यादा मजबूती से आई है, इकोनॉमी कहीं ज्यादा कमजोर हुई है. राजनीतिक दलों से गठबंधन मजबूत हुआ है लेकिन समाज के भीतर दरारें साफ दिखाई देने लगी हैं. लेकिन अब कुछ भी चौंकाता नहीं है क्योंकि जनादेश तले ही अब देश की व्याख्या की जा रही है.
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इस चुनाव के दो प्रमुख निष्कर्ष हैं. पहला यह है कि वंशवादी राजनीति के सामने एक बड़ी चुनौती उठ खड़ी हुई है. राजनीतिक युद्ध क्षेत्र में इस बार कई वंशवादी योद्धा धराशायी हुए हैं. सबसे ज्यादा झटका मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस को लगा है, जहां गांधी परिवार के
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करीब 53 साल पहले शिवसेना और 13 साल पहले मनसे का गठन एक समान मराठी मानुष के हितों के लिए लड़ने के उद्देश्य से हुआ था. दोनों ही दल दूसरे राज्यों के लोगों के घोर विरोधी थे. वे मराठी भाषा और समाज के रास्ते पर चल निकले थे, लेकिन मंजिल पाने के लिए जब सियास
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नई सरकार द्वारा नई स्वास्थ्य नीति को अंगीकार कर लक्ष्य का निर्धारण तभी सार्थक होगा जब पूरा देश स्वस्थ हो. अच्छे स्वास्थ्य का अभिप्राय समग्र स्वास्थ्य से है जिसमें शारीरिक स्वास्थ्य, मानसिक स्वास्थ्य, बौद्धिक स्वास्थ्य, आध्यात्मिक स्वास्थ्य और सामाजिक
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सरकार ने इस बार ‘बिम्सटेक’ समूह के देशों के शासनाध्यक्षों को समारोह में निमंत्रित कर ‘सबसे पहले पड़ोस’ की अपनी नीति का दायरा बढ़ाते हुए ‘अपने निकट पड़ोस’ को दक्षेस देशों तक ही सीमित रखने से हट कर इस पड़ोस के दायरे को पूर्व के देशों तक फैलाने के सं
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सच्चाई यह है कि सतलज से अभी पाकिस्तान अस्सी प्रतिशत और भारत बीस प्रतिशत लाभ लेता है. बजाय इसके कि पाकिस्तान उस अस्सी प्रतिशत का उपयोग नहरों के जरिए करता, वह भारत को रोकना चाहता है. पाकिस्तान का ध्यान नहरें बनाने की ओर कैसे हो सकता है? उसे तो खंदक खो
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इस नए मंत्रिमंडल के शपथ-समारोह में यह भी अच्छा लगा कि राजनाथ सिंह, अमित शाह और नितिन गडकरी की वरिष्ठता को यथोचित रखा गया. अमित शाह को गृह मंत्नी बना मोदी ने अनौपचारिक उप-प्रधानमंत्नी का पद कायम कर दिया है.
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