वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: मोदी का संतुलित मंत्रिमंडल
By वेद प्रताप वैदिक | Published: June 1, 2019 05:47 AM2019-06-01T05:47:57+5:302019-06-01T05:47:57+5:30
इस नए मंत्रिमंडल के शपथ-समारोह में यह भी अच्छा लगा कि राजनाथ सिंह, अमित शाह और नितिन गडकरी की वरिष्ठता को यथोचित रखा गया. अमित शाह को गृह मंत्नी बना मोदी ने अनौपचारिक उप-प्रधानमंत्नी का पद कायम कर दिया है.
नरेंद्र मोदी मंत्रिमंडल का शपथ ग्रहण समारोह अपने आप में ऐतिहासिक रहा, क्योंकि यह ऐसा पहला गैर-कांग्रेसी मंत्रिमंडल है, जो अपने पहले पांच साल पूरे करके दूसरे पांच साल पूरे करने की शपथ ले रहा है. पिछले शपथ-समारोह से यह इस अर्थ में भी थोड़ा भिन्न है कि इसमें दक्षेस (सार्क) के बजाय ‘बिम्सटेक’ सदस्य-राष्ट्रों के प्रतिनिधि आए.
इस नए मंत्रिमंडल के शपथ-समारोह में यह भी अच्छा लगा कि राजनाथ सिंह, अमित शाह और नितिन गडकरी की वरिष्ठता को यथोचित रखा गया. अमित शाह को गृह मंत्नी बना मोदी ने अनौपचारिक उप-प्रधानमंत्नी का पद कायम कर दिया है. जैसे अटलजी और आडवाणीजी की जुगल-जोड़ी ने काम किया, उससे भी बेहतर काम यह नरेंद्र भाई और अमित भाई की भाई-भाई जोड़ी करेगी. एस. जयशंकर को मंत्नी बनाकर मोदी ने अपनी विदेश नीति को नई धार देने की कोशिश की है.
जयशंकर चीन और अमेरिका में हमारे राजदूत रह चुके हैं और विदेश सचिव भी रहे हैं. उनके पिता स्वर्गीय के. सुब्रह्मण्यम भारत के माने हुए रणनीति-विशेषज्ञ रहे हैं. कुछ पूर्व मुख्यमंत्रियों को भी इस बार मंत्रिमंडल में जोड़ा गया है, इससे केंद्र सरकार को उनके अनुभव का लाभ तो मिलेगा ही, उन-उन प्रांतों में भाजपा का जनाधार भी बढ़ेगा. इस नए मंत्रिमंडल में कई पुराने मंत्रियों को बरकरार रखा गया है. जाहिर है कि ज्यादातर मंत्रियों ने अपना काम ठीक-ठाक किया है.
आशा है कि मोदी सरकार की इस दूसरी पारी में भी इस मंत्रिमंडल के सदस्यों का आचरण विवादों के परे रहेगा. मंत्रिमंडल में कई नए सदस्यों को भी जोड़ा गया है. इस मंत्रिमंडल में महिलाओं और अहिंदी प्रांतों के सांसदों को काफी स्थान मिला है. यह भाजपा के लिए ही नहीं, संपूर्ण भारत के लिए शुभ-संकेत है. देश की जनता को सरकार, नौकरशाही, पुलिस-फौज से ज्यादा जोड़नेवाली ताकत कोई होती है तो वह अखिल भारतीय राजनीतिक पार्टी होती है. यह काम जो कांग्रेस करती रही, अब वही भाजपा करती दिख रही है. एक मजबूत पार्टी और मजबूत सरकार भारत को अगले पांच साल में विश्व-स्तरीय शक्ति बना सकती है.