शोभना जैन का ब्लॉग: ‘पड़ोसी प्रथम’ में अब पूरब का पड़ोस भी

By शोभना जैन | Published: June 1, 2019 05:48 AM2019-06-01T05:48:27+5:302019-06-01T05:48:27+5:30

सरकार ने इस बार ‘बिम्सटेक’ समूह के देशों के शासनाध्यक्षों को समारोह में निमंत्रित  कर  ‘सबसे पहले पड़ोस’ की अपनी नीति का दायरा बढ़ाते हुए ‘अपने निकट पड़ोस’ को दक्षेस देशों तक ही  सीमित रखने से हट कर इस पड़ोस के दायरे को पूर्व के देशों तक फैलाने के संकेत दिए. 

Shobhana Jain blog on Importance of BIMSTEC Leaders invited in PM Narendra Modi Swearing in Ceremony | शोभना जैन का ब्लॉग: ‘पड़ोसी प्रथम’ में अब पूरब का पड़ोस भी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी। (फाइल फोटो)

प्रधानमंत्नी नरेंद्र मोदी की सरकार ने लोकसभा चुनाव में मिले भारी जनादेश के साथ सत्ता संभालते ही पिछले अधूरे लक्ष्यों को पूरा करने के साथ-साथ घरेलू, आर्थिक, समाजिक और अंतर्राष्ट्रीय मोर्चे के नए एजेंडे को लेकर अहम संकेत दिए हैं. इसी परिप्रेक्ष्य में देखें तो इस बार के शपथ ग्रहण समारोह से सरकार ने  खास तौर पर बंगाल की खाड़ी वाले देशों के साथ  सहयोग बढ़ाने संबंधी एक नई पहल शुरू करने का अहम संकेत दिया.

सरकार ने इस बार ‘बिम्सटेक’ समूह के देशों के शासनाध्यक्षों को समारोह में निमंत्रित  कर  ‘सबसे पहले पड़ोस’ की अपनी नीति का दायरा बढ़ाते हुए ‘अपने निकट पड़ोस’ को दक्षेस देशों तक ही  सीमित रखने से हट कर इस पड़ोस के दायरे को पूर्व के देशों तक फैलाने के संकेत दिए. 

प्रधानमंत्नी नरेंद्र मोदी ने पिछली बार के अपने शपथ ग्रहण समारोह  में ‘दक्षेस’ देशों के राष्ट्राध्यक्षों को आमंत्रित किया था और उस नाते उसमें पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्नी नवाज शरीफ भी न्यौता पा कर भारत आए थे. इस बार ‘बिम्सटेक’ समूह देशों के शासनाध्यक्षों को इस समारोह में निमंत्रित किया गया. इन में बांग्लादेश, म्यांमार, श्रीलंका, थाईलैंड, नेपाल, भूटान के शासनाध्यक्षों ने हिस्सा लिया.  

थाईलैंड  जो कि इस वक्त मजबूत क्षेत्नीय समूह आसियान का अध्यक्ष भी है, उसके प्रमुख प्रतिनिधि समारोह में शामिल हुए. दरअसल बिम्सटेक देशों के न्यौते  की कूटनीति से भारत ने यह भी संकेत दिया कि पाकिस्तान के नकारात्मक रवैये की वजह से दक्षेस यानी निकटवर्ती  देशों ‘दक्षिण क्षेत्नीय सहयोग संगठन’ का समूह काम ही नहीं कर पा रहा है तो इस पर अटके रहने के बजाय पड़ोस के दायरे को बढ़ाते हुए पूरब के देशों के साथ संबंध बढ़ाने को प्राथमिकता दी जाए और बिम्सटेक समूह के साथ रिश्ते बढ़ने के साथ इस समूह को भी मजबूती मिले जिससे  परस्पर लाभ के लिए क्षेत्नीय सहयोग बढ़े.

एक रिपोर्ट के अनुसार  2012 से 2016 के बीच इन सातों राष्ट्र की वार्षिक औसत आर्थिक वृद्धि 3.4 फीसदी से 7.5 फीसदी के बीच थी. दुनिया में जितने सामान का व्यापार होता है, उसका एक चौथाई बंगाल की खाड़ी से होकर गुजरता है, ऐसे में इस क्षेत्न की महत्ता समझी जा सकती है.

भारत की भौगोलिक और समुद्री सीमाएं बिम्सटेक देशों के साथ जुड़ी हुई हैं. अगर बिम्सटेक समूह मजबूत होता है तो नजदीकियां बढ़ने से क्षेत्न के देशों का विकास होगा. इसके माध्यम से पाकिस्तान और चीन को छोड़कर भारत अन्य पड़ोसी देशों के साथ अपने संबंधों को मजबूत कर सकता है. बिम्सटेक की मदद से भारत चीन से भी मुकाबला कर सकता है. चीन इस क्षेत्न के देशों में तेजी से निवेश कर रहा है लेकिन ऋण जाल में फंसा कर आर्थिक सहायता देने की उसकी प्रतिकूल छवि भी है. दूसरी तरफ भारत की छवि भरोसेमंद दोस्त की है. इसका लाभ भारत को मिल सकता है. 

Web Title: Shobhana Jain blog on Importance of BIMSTEC Leaders invited in PM Narendra Modi Swearing in Ceremony

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