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बजट में आयकर स्लैब में बदलाव 2024 के संसदीय चुनाव की तैयारी का आगाज

By राजेश मूणत | Published: February 01, 2023 9:15 PM

सरकार ने आयकर प्रावधानों में बदलाव कर अपने सबसे बड़े समर्थक मध्यम आय वर्ग की नाराजगी को ध्यान में रखा है। सरकार की आर्थिक नीति और क्रियान्वयन में बरती जा रही कुशलता वैश्विक अध्ययन का विषय बन रही है।

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Union Budget 2023: केंद्रीय वित्तमंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण का आज प्रस्तुत वित्तिय बजट आम लोगों में चर्चा का विषय बन गया है। आयकर स्लैब में किया गया परिवर्तन और प्राथमिकताओं को वर्ष 2024 के संसदीय चुनाव की तैयारी का आगाज कहा जा सकता है। सरकार ने आयकर प्रावधानों में बदलाव कर अपने सबसे बड़े समर्थक मध्यम आय वर्ग की नाराजगी को ध्यान में रखा है। सरकार की आर्थिक नीति और क्रियान्वयन में बरती जा रही कुशलता वैश्विक अध्ययन का विषय बन रही है।  

कृषि शिक्षा और मेडिकल  के क्षेत्र में 157 नए नर्सिंग कॉलेज, नए मेडिकल कॉलेज , 1 करोड़ किसानों को नेचुरल फार्मिंग का प्रशिक्षण, रेलवे के लिए अब तक का सबसे बड़ा 2 लाख 40 हजार करोड़ का  कैपिटल बजट एलोकेशन, कृषि और तकनीकी  स्टार्टअप के लिए विभिन्न प्रावधान, आधारभूत संरचना के लिए  10 लाख करोड़ का कैपिटल इन्वेस्टमेंट प्रावधान, आवास के लिए प्रधानमंत्री आवास के लिए 79000 करोड़ के प्रावधान, बेहतर कनेक्टिविटी के लिए 50 एयरपोर्ट का रिवाइवल, वरिष्ठ नागरिक बचत योजना की सीमा 15 लाख से 30 लाख तक बढ़ाना आदि अनेकों विकासोन्मुखी और जनहितेशी प्रावधानों के  दूरगामी प्रभाव अवश्य होंगे।

जहां तक टैक्सेशन का सवाल है यह बजट कर संग्रहण के संतुलन और वितरण की कुशलता में दक्ष दिखाई देता है। आयकर के परिपेक्ष्य में भारत में वर्तमान में 2 टैक्स रिजिम है जिसमे 1 विभिन्न रिबेट और छूट के लिए है और दूसरा सरलतम। यह की किसी भी प्रकार की कोई छूट नहीं है नया रिजिम अब प्रमुख हो गया है हालाकि पुराना रिजिम अभी भी निरंतर रहेगा नए रिजिम के तहत 7 लाख की आय पर (बिना किसी छूट) के कोई टैक्स नहीं देना होगा।

नए रिजिम में यदि आय 7 लाख से अधिक है तो  कर की दर 5 प्रतिशत (3 से 6 लाख) 10 प्रतिशत(6 से 9 लाख) 15 प्रतिशत (9 से 12 लाख)और उसके बाद  20 (12 से 15)और 30 प्रतिशत की दर से कर देना होगा , विभिन्न परिस्थितियों में कर देयता को लगभग 2500 से 37500 रुपए तक का अलग अलग लाभ हो सकता है। सरकार की मंशा धीरे धीरे नए रिजिम को प्रोत्साहित कर  छूट वाले रिजिम को हतोत्साहित करने की लगती है। इसके साथ ही 2 करोड़ टर्नओवर तक जो 6 और 8 प्रतिशत की दर से प्रॉफिट दिखाने वाले व्यवसायियों को बुक्स ऑफ अकाउंट्स रखने और ऑडिट की अनिवार्यता थी उसको बढ़ा कर 3 करोड़ किया गया। यह मझोले व्यवसायियों के हितों के संरक्षण का बड़ा प्रयास कहा जा सकता है। इसके साथ MSME सेक्टर को आसान लोन प्राप्त हो इसके लिए भी प्रावधान किया गया है।

आयकर रिटर्न के लिए वर्तमान में द्रुतगति से प्रोसेसिंग की जा रही है और प्रोसेसिंग की यह समय सीमा 45 प्रतिशत केसेस में तो यह स्थिति है कि 24 घंटे में असेसमेंट हो रहा है। यह बदलाव जहां मझोले व्यापारियों के लिए सुकून देने वाला है, लेकिन जीएसटी कर प्रणाली की जटिलताओं को अभी भी नजरअंदाज किया गया है। 

इस तरह छोटे व्यवसायियों के लिए अभी कोई राहत सामने नहीं आई है। उनके लिए जीएसटी आज भी एक उलझनों से भरी परेशान करने वाली प्रक्रिया है। कुल मिला कर यह बजट चुनावी जरूरतों  के साथ विकास की गति को बढ़ाने में भी सहायक होगा।

 सीए प्रमोद नाहरवरिष्ठ चार्टर्ड अकाउंटेंट्सपूर्व चेयरमैन रतलाम ब्रांच

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