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Laptop-Tablet Import Ban 2023: चीन के साथ बढ़ते व्यापार घाटे पर अंकुश लगाने की पहल, लैपटॉप, टैबलेट, पीसी, यूएसएफएफ कम्प्यूटर और सर्वर के आयात पर...

By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Published: August 05, 2023 11:22 AM

Laptop-Tablet Import Ban 2023: चीन के साथ तनाव भरे रिश्तों के मद्देनजर उम्मीद की जा रही थी कि चीन से आयात में कमी आएगी और व्यापार घाटा कम हो सकेगा. नागरिकों में चीन विरोधी भावना को देखते हुए इस उम्मीद को बल मिलना स्वाभाविक था.

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ठळक मुद्दे 2022 के व्यापार घाटे के आंकड़ों ने सबको हैरान, बल्कि स्तब्ध कर दिया.वर्ष 2021 में चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा 69.38 अरब डॉलर था जो 2022 में बढ़कर 101.02 अरब डॉलर हो गया.मूल्य कम होने के कारण शायद हमारे देश के व्यापारी चीन से वस्तुओं के आयात का मोह संवरण नहीं कर पा रहे हैं.

Laptop-Tablet Import Ban 2023: केंद्र सरकार द्वारा लैपटॉप, टैबलेट, ऑल-इन-वन पर्सनल कम्प्यूटर (पीसी), अल्ट्रा स्मॉल फॉर्म फैक्टर (यूएसएफएफ) कम्प्यूटर और सर्वर के आयात पर तत्काल प्रभाव से ‘अंकुश’ लगाने के बाद अब उम्मीद की जा सकती है कि चीन के साथ बढ़ते व्यापार घाटे पर भी अंकुश लगाया जा सकेगा.

दरअसल चीन के साथ तनाव भरे रिश्तों के मद्देनजर उम्मीद की जा रही थी कि चीन से आयात में कमी आएगी और व्यापार घाटा कम हो सकेगा. नागरिकों में चीन विरोधी भावना को देखते हुए इस उम्मीद को बल मिलना स्वाभाविक था. लेकिन 2022 के व्यापार घाटे के आंकड़ों ने सबको हैरान, बल्कि स्तब्ध कर दिया.

वर्ष 2021 में चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा 69.38 अरब डॉलर था जो 2022 में बढ़कर 101.02 अरब डॉलर हो गया. क्वालिटी घटिया होने के बावजूद मूल्य कम होने के कारण शायद हमारे देश के व्यापारी चीन से वस्तुओं के आयात का मोह संवरण नहीं कर पा रहे हैं. संभवत: इसी कारण से सरकार ने लैपटॉप, कम्प्यूटर इत्यादि के आयात पर ‘अंकुश’ लगाने का फैसला किया है.

उल्लेखनीय है कि चीन से आयात में 65 प्रतिशत हिस्सा इलेक्ट्रॉनिक्स मशीनरी और जैविक रसायन का ही है, इसलिए जाहिर है कि इस अंकुश से चीन के साथ व्यापार घाटा कम करने में प्रभावी मदद मिलेगी. इस मौके का इस्तेमाल घरेलू उद्योगों को प्रोत्साहन देने के लिए किया जा सकता है.

अभी हालत यह है कि भारत अपनी दैनिक जरूरतों तथा औद्योगिक उत्पादों मसलन मोबाइल फोन, लैपटॉप, कलपुर्जे, सौर सेल मॉड्यूल और आईसी के लिए चीन पर काफी हद तक निर्भर है. अगर ये सामान प्रतिस्पर्धी कीमतों पर अपने देश में ही मिलने लगें तो आयात पर अपने आप अंकुश लग जाएगा.

लेकिन जाहिर है कि ऐसा रातोंरात नहीं हो जाएगा, इसमें कुछ समय लगेगा और देशवासियों के सहयोग के बिना यह संभव नहीं हो पाएगा. इसी साल फरवरी में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने एशिया इकोनॉमिक डायलॉग में कहा था कि चीन से व्यापारिक असंतुलन की गंभीर चुनौती के लिए सिर्फ सरकार ही जिम्मेदार नहीं है, बल्कि सीधे तौर पर देश का उद्योग-कारोबार और देश की कंपनियां भी जिम्मेदार हैं.

उन्होंने कलपुर्जे सहित संसाधनों के विभिन्न स्रोत और मध्यस्थ विकसित करने में अपनी प्रभावी भूमिका नहीं निभाई है. इसलिए जाहिर है कि देश के उद्योग जगत को भी इस मुद्दे पर अपनी भूमिका समझनी होगी. इसमें कोई दो राय नहीं कि चीन के अधिकतर सामानों की गुणवत्ता बहुत घटिया स्तर की होती है.

इसीलिए वाणिज्य व उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने इसी साल मार्च में एक एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल के कार्यक्रम में कहा था कि जल्द ही चीन से आयात होने वाले घटिया स्तर के 2000 उत्पादों को गुणवत्ता नियंत्रण के दायरे में लाया जाएगा.

जाहिर है कि चीन के साथ व्यापार घाटे को कम करने के लिए सरकार पूरी कोशिश कर रही है लेकिन परोक्ष ढंग से ही, क्योंकि ग्लोबलाइजेशन के वर्तमान दौर में किसी भी देश के साथ व्यापार पर बिना ठोस कारण के सीधे प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता. लेकिन चीनी सामान खरीदने से इंकार करके आम नागरिक इसमें सरकार की बहुत बड़ी मदद कर सकते हैं.

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