संवाददाता से लेकर संपादक तक, राष्ट्रीय प्रिंट मीडिया के महत्वपूर्ण पदों पर कार्य का अनुभव, खासकर एडिटोरियल प्लानिंग, आइडिया, लॉचिंग आदि का विशेष अनुभव।Read More
उधर, यूपी में सपा-बसपा ने लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस को छोड़ कर एक तरफा गठबंधन घोषित कर दिया है। यदि कांग्रेस यूपी में अकेले चुनाव लड़ती है तो राजस्थान जैसे कांग्रेस शासित राज्यों के बेहतर कामकाज का बड़ा सहारा मिल सकता है। ...
इस बार बीजेपी के लिए राह आसान नहीं दिख रही क्योंकि सियासी हालात 2009 से भी खराब हैं. इस बार भाजपा को कांग्रेस के अलावा पुराने अपनों, जो इस वक्त पीएम मोदी के विरोध में हैं, से भी मुकाबला करना है. अर्थात, इस बार मोदी टीम को दो मोर्चों पर लड़ना है. ...
राजस्थान की सीएम रही वसुंधरा राजे के बीजेपी के केन्द्रीय नेतृत्व के साथ कैसे सियासी संबंध रहे हैं, यह जग जाहिर है, इसीलिए राजनीतिक जानकारों का मानना है कि बीजेपी संगठन की यह नई सियासी समीकरण भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को भारी भी पड़ सकती है। ...
राजनीतिक जानकार राजस्थान में इसका मिलाजुला असर रहने की संभावना व्यक्त कर रहे हैं, क्योंकि लोकसभा चुनाव से पहले इसका कोई सीधा-सीधा लाभ बेरोजगारों को नहीं मिलना है. इसकी आर्थिक सीमाओं को लेकर भी सवाल हैं कि- क्या वास्तव में सवर्ण गरीबों को इसका लाभ मिल ...
आर्थिक आधार पर आरक्षण की मांग के अनुरूप 15 प्रतिशत से ज्यादा आरक्षण दिया जाना था, लेकिन 10 प्रतिशत ही प्रस्तावित है। इसके जो आर्थिक पैमाने हैं, उससे वास्तविक गरीबों को शायद ही लाभ मिले। ...
सामान्य वर्ग की मांग आर्थिक आधार पर 15 प्रतिशत से ज्यादा आरक्षण देने की थी, लेकिन सियासी मजबूरी के बावजूद पीएम मोदी टीम ने यह 10 प्रतिशत ही रखा है। ...
सियासी सारांश यही है कि भाजपा का केन्द्रीय नेतृत्व बगैर सियासी विवाद के अपनी मर्जी का नेता प्रतिपक्ष बनाना तो चाहता है, लेकिन अभी इसकी राह आसान नहीं है. ...
दिल्ली में पार्लियामेंट्री बोर्ड की बैठक में राजस्थान के लिए नेता प्रतिपक्ष के मुद्दे पर चर्चा तो हुई थी, परंतु बगैर इस पर गंभीर चर्चा के कोई फैसला लेना ठीक नहीं माना गया. याद रहे, वसुंधरा राजे की सहमति के बगैर इस पर कोई भी एकतरफा निर्णय सियासी तूफान ...