देश के विकास और भावी भारत की सामर्थ्य को सुनिश्चित करने की जरूरत को ध्यान में रखते हुए शिक्षा जगत के लिए मातृभाषा के उपयोग पर गंभीरता से लेना होगा। ...
भारत और उसके सत्व या गुण-धर्म रूप भारतीयता के स्वभाव को समझने की चेष्टा यथातथ्य वर्णन के साथ ही वांछित या आदर्श स्थिति का निरूपण भी हो जाती है। भारतीयता एक मनोदशा भी है। उसे समझने के लिए हमें भारतीय मानस को समझना होगा। यह सिर्फ ज्ञान का ही नहीं बल्कि ...
मूर्त या मानवीकृत बसंत कामदेव का परम सुहृदय और सहचर है। वह सृष्टि के उद्भेद का संकल्प है। फागुन–चैत, यानी आधा फरवरी, पूरा मार्च और आधा अप्रैल बसंत ऋतु के महीने कहे जाते हैं। बसंत या फागुन-चैत के साथ भारतीय नया वर्ष भी शुरू होता है। ...
देश की आर्थिक सेहत सुधरने के कई संकेत मिल रहे हैं। दूसरी ओर सामाजिक समता, न्याय, सौहार्द्र और जनहित के प्रयासों और उपलब्धियों को संजीदगी देखने पर आम आदमी के मन में दुविधाएं बनी हुई हैं। महंगाई, नौकरशाही और न्याय व्यवस्था की मुश्किलों को नजरंदाज नहीं ...
अंग्रेजी शासन की मिलने वाली शारीरिक और मानसिक पीड़ा के आलोक में गणतंत्र का विचार बड़ा आकर्षक और मुक्तिदायी लगा था। गणतंत्र के संचालन के लिए विचार-विमर्श के बाद भारतीय संविधान बना। ...
भाषा हमारी अभिव्यक्ति का सबसे समर्थ माध्यम है। इसकी सहायता से ज्ञान और संस्कृति के निर्माण, संरक्षण, संचार और अगली पीढ़ी तक हस्तांतरण का कार्य सुगमता से हो पाता है। ...
मदन मोहन मालवीय को गांधीजी ने ‘महामना’ कहकर संबोधित किया था और वे असाधारण व्यक्तित्व की महिमा से सम्पन्न महामना सही अर्थों में जन-नायक थे। वे भारत में एक सामाजिक–सांस्कृतिक परिवर्तन के सूत्रधार बने। ...