ब्लॉग: देश सभी क्षेत्रों में नवोन्मेष की ओर बढ़ा रहा कदम

By गिरीश्वर मिश्र | Published: January 26, 2024 11:42 AM2024-01-26T11:42:42+5:302024-01-26T11:48:48+5:30

अंग्रेजी शासन की मिलने वाली शारीरिक और मानसिक पीड़ा के आलोक में गणतंत्र का विचार बड़ा आकर्षक और मुक्तिदायी लगा था। गणतंत्र के संचालन के लिए विचार-विमर्श के बाद भारतीय संविधान बना।

The country is taking steps towards innovation in all fields | ब्लॉग: देश सभी क्षेत्रों में नवोन्मेष की ओर बढ़ा रहा कदम

फाइल फोटो

Highlightsजब स्वाधीनता मिली थी तब देश की आर्थिक स्थिति खस्ताहाल थीजी-20 का सफलतापूर्वक आयोजन और अनेक वैश्विक चर्चाओं में प्रमुखता से भागीदारी ने भारत की प्रतिष्ठा बढ़ाई हैअमृत-काल में देश की क्षमता नई ऊंचाइयों को छू रही है

यद्यपि गणतंत्र की अवधारणा और स्वाधीनता के विचार भारत में कई हजार साल पहले व्यवहार में थे। परंतु ऐतिहासिक उठापटक के बीच वे धूमिल पड़ते गए थे। अंग्रेजी शासन की मिलने वाली शारीरिक और मानसिक पीड़ा के आलोक में गणतंत्र का विचार बड़ा आकर्षक और मुक्तिदायी लगा था। गणतंत्र के संचालन के लिए विचार-विमर्श के बाद भारतीय संविधान बना। उसे देश ने स्वीकार किया और उसकी परिधि में ही शासन-संचालन के लिए अपने को प्रतिबद्ध किया।

जब स्वाधीनता मिली थी तब देश की आर्थिक स्थिति खस्ताहाल थी। शिक्षा, उद्योग, सामरिक तैयारी और अन्य आधारभूत संसाधनों की दृष्टि से देश पिछड़ा हुआ था। अखंड भारत के विभाजन के चलते समाज के बहुत बड़े तबके को कई तरह के उत्पीड़न झेलने पड़े और कश्मीर जैसी कुछ समस्याओं का निदान न होने के कारण सतत आतंकवाद का सामना करना पड़ा।

इस बीच देश के आंतरिक दबावों और वैश्विक राजनय के उतार-चढ़ाव के बीच भारतीय गणतंत्र ने मर्यादा में रहते हुए सात दशकों की यात्रा पूरी की है। चुनौतियों को स्वीकार करते हुए एक गणतंत्र के रूप में आकार लेने के बावजूद भारत औपनिवेशिकता की जकड़ से पूरी तरह से आजाद नहीं हो सका।

लगभग दो सदियों के अंग्रेजी शासन के दौरान शिक्षा, कानून-व्यवस्था, भाषा-प्रयोग, नागरिक जीवन से जुड़ी व्यवस्थाओं और विश्व-दृष्टि के मामलों में हम पश्चिम के ही मुखापेक्षी हो गए और सारी व्यवस्थाएं उधारी की दृष्टि से लागू की जाती रहीं। इसका दुष्परिणाम अनेक क्षेत्रों में दिख रहा है। इस परिदृश्य में वर्तमान सरकार ने दृढ़ इच्छा-शक्ति के साथ राष्ट्रीय हितों के लिए संलग्नता की दिशा में प्रयास किया, जिसे अपार जन-समर्थन मिला है।

गरीबों और वंचितों की जरूरतों की ओर ध्यान देते हुए उनके जीवन स्तर को ऊपर उठाने के कदम उठाए, उद्योग और उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए प्रभावी पहल की, आधार-संरचना को मजबूत करने के बहु आयामी प्रयास चल रहे हैं, कृषि-व्यवस्था को सुधारने और उसे आर्थिक रूप से समर्थ बनाने का उपक्रम शुरू हुआ है।

शिक्षा में संरचना, प्रक्रिया और सुविधाओं के लिए गंभीर सुधार लाने के प्रयास शुरू हुए हैं. विज्ञान और तकनीकी की दृष्टि से चंद्रयान की सफलता और सूर्य के अध्ययन के लिए आदित्य उपग्रह बड़ी सफलताएं हैं।

देश की सामर्थ्य को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्थापित करने वाले कई कदम उठाए गए हैं. जी-20 का सफलतापूर्वक आयोजन और अनेक वैश्विक चर्चाओं में प्रमुखता से भागीदारी ने भारत की प्रतिष्ठा बढ़ाई है। अमृत-काल में देश की क्षमता नई ऊंचाइयों को छू रही है. उन्नति की इस लय को बनाए रखने के लिए उत्तरदायी कार्य-संस्कृति का विकास जरूरी है।

Web Title: The country is taking steps towards innovation in all fields

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