औपचारिक क्षेत्र में पेंशन का क्षेत्र जरूर बढ़ा है. इस समय अनौपचारिक श्रमिकों की सामाजिक सुरक्षा के बारे में विधेयक पर विचार चल रहा है. इसका मसौदा अक्तूबर 2019 में प्रस्तुत हुआ था और संसद के मानसून सत्र में विधेयक को प्रस्तुत होना है. ...
आत्मनिर्भर बनने की यात्ना में गांवों की भूमिका पर गहन विचार आवश्यक है. महात्मा गांधी का ‘ग्राम स्वराज’ देश की आत्मनिर्भरता के लिए मार्गदर्शक हो सकता है. श्रम पर आधारित जीवन और प्राकृतिक संसाधनों को महत्व देना इसका मुख्य आधार होगा. ...
लोक भाषा में चिंतन किया जा सकता है और गहरा चिंतन किया जा सकता है, यह दिखाना बड़ी मार्के की बात है. यह एक ‘पैराडाइम शिफ्ट’ है, एक नए ढंग का प्रारूप है जिसमें चिंतन और विचार के लिए, जन भाषा का उपयोग किया गया. इसमें विचारक की जो भाषा है और जिनके बारे मे ...
फैक्टरी के बंद होने से घर बैठे निरुपाय मजदूरों का जो रोजी-रोटी को मोहताज होकर शहरों को छोड़ सैकड़ों मील दूर अपने गांवों की ओर जा रहे हैं. वे पैदल, साइकिल, रिक्शा, ट्रक, ट्रॉली आदि से अपना रास्ता नाप रहे हैं. ...
भारतीय शिक्षा का मूल स्वर जिस तरह मैकाले ने अनुशासित किया वह तब से अब तक अक्षुण्ण बना रहा. रस्म अदायगी के तौर पर राधाकृष्णन और कोठारी आयोग तो बने पर उनकी अधिकांश संस्तुतियां नीति की दृष्टि से हाशिये पर ही बनी रहीं. आगे भी नीतियों और आयोगों का सिलसिला ...
आजकल संक्रमण से बचने की कोशिश करते हुए जो भी सामान घर लाया जाता है उसे धो-पोंछ कर और डिसइनफेक्ट करने के बाद ही काम में लाया जाता है. हर चीज को स्वच्छ और शुद्ध रखना कोरोना यानी मृत्यु से दूर रखेगा और जीवन को सुनिश्चित करेगा. ...
वैश्वीकरण की यह सौगात सारी दुनिया को अपनी चपेट में ले चुकी है. सामान्य जीवन की सारी प्रक्रियाएं उलट-पुलट हो रही हैं. अभी भी कुछ पता नहीं है कि आगे क्या होने वाला है. जो भी हो, इतना तो तय है कि इस विषाणु से उबरने के बाद भी दुनिया की रीति वैसी न रह सके ...